भूमि पूजन के आयोजन से फूले नहीं समा रहे पूर्व मंत्री
आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद छह दिसंबर 1992 में अयोध्या में हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पू
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद :
छह दिसंबर 1992 में अयोध्या में हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी मुख्यमंत्री आवास में पल-पल पर नजर बनाए हुए थे। उस समय वह अयोध्या से लेकर पूरे प्रदेश और देश की गतिविधियों की जानकारी ले रहे थे। अयोध्या में पहली गुंबद गिरने से लेकर तीसरी गुंबद विध्वंस तक के वह गवाह बने थे और जानकारी से तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अवगत करा रहे थे। सरकार को अयोध्या में जुटे कारसेवकों की बड़ी संख्या से पहले ही अनुमान हो गया था कि अयोध्या में कुछ बड़ा होने जा रहा है। इसके चलते ही मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए निजी तौर पर एक आवास की व्यवस्था पहले ही करा दी गई थी। विवादित ढांचा विध्वंस कांड के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री बालेश्वर त्यागी गवाह बने। इससे पहले वह राम मंदिर जन्म भूमि आंदोलन से वर्ष 1984 में ही जुड़ गए थे। वर्ष 1990 में राम जन्म भूमि आंदोलन में पुलिस ने उन्हें घर से गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेजा था और वह सवा माह तक जेल में रहे थे। आज राम मंदिर निर्माण का सपना साकार होते हुए देखकर बालेश्वर त्यागी खुशी से फूले नहीं समा रहे। उनका कहना है कि पांच अगस्त का दिन पूरे देश के लिए एतिहासिक दिन है, यह स्वाभिमान और सम्मान का दिन है। पूरे विश्व में भारत को भगवान राम के नाम से जाना जाता है। आज देश को भगवान राम के नाम से एक बार फिर पहचान मिल रही है।
पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी को 12 अक्टूबर 1990 की रात पुलिस ने घर से उठाया था। पुलिस ने उनसे कहा था कि जिलाधिकारी ने बैठक के लिए बुलाया है। इसके बाद पुलिस उन्हें पहले पुलिस लाइन लेकर पहुंची और इसके बाद सहारनपुर जेल में शिफ्ट कर दिया। बालेश्वर त्यागी बताते हैं कि वह 1992 में प्रदेश के गृह राज्यमंत्री थे। छह दिसंबर 1992 को वह लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर थे। इस दौरान मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अचानक आवास से निकले। पूछने पर बताया गया कि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर निजी तौर पर एक आवास आवंटित हुआ है वह उसे देखने गए हैं। इस दौरान वहां तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सूर्यप्रताप शाही, लालजी टंडन और कुछ अन्य कैबिनेट मंत्री पहुंचे और सूचना दी कि अयोध्या में गुंबद पर कुछ लोग चढ़ गए हैं। बालेश्वर त्यागी ने अयोध्या में कंट्रोल रूम पर फोन किया तो वहां से स्थिति सामान्य होने की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने अपने लोगों से जानकारी करनी शुरू की तो पता चला कि एक-एक कर गुंबद गिरनी शुरू हो गई है। इसके बाद उन्होंने पूरी जानकारी से कल्याण सिंह को अगवत कराया। तीसरी गुंबद गिरने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर अन्य नेताओं के फोन आने शुरू हुए। इसके बाद फैसला लिया गया कि सरकार त्यागपत्र देगी और कल्याण सिंह ने राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। बाद में पता चला कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत राजस्थान, हिमाचल व मध्यप्रदेश की सरकारों को बर्खास्त कर दिया है।
---
बस हादसे में चार कारसेवकों की हुई थी मौत
बालेश्वर त्यागी बताते हैं कि वर्ष 1984 में गाजियाबाद से अयोध्या के लिए एक बस रवाना हुई थी। इस बस में 50 से अधिक कार्यकर्ता थे। शाहजहांपुर के पास बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में पूर्व पार्षद ओमप्रकाश जोशी समेत चार कारसेवकों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे।
---
हिदू ही नहीं हर धर्म के लोग जुड़े थे आंदोलन से
राम जन्म भूमि आंदोलन से सिर्फ हिदू संप्रदाय ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग जुड़े थे। कारसेवकों के लिए जिले में कई स्थानों पर अस्थायी जेल बनाई गई थी, जहां उन्हें कई-कई दिनों तक बंद रखा गया था। अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सरदार एसपी सिंह बताते हैं कि वह भी कई दिन अस्थायी जेल में बंद रहे थे। इस आंदोलन के दौरान वह कई बार लखनऊ में आयोजित बैठकों में भी हिस्सा लेने गए थे और राम जन्म भूमि आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में शामिल रहे थे।
---
छात्र जीवन में जेल गए थे अश्विनी शर्मा
भाजपा के महानगर मीडिया प्रभारी अश्विनी शर्मा छात्र जीवन से ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़ गए थे। उनकी राजनीति की शुरुआत ही इस आंदोलन से हुई थी। अश्विनी शर्मा ने बताया कि वर्ष 1992 में जब विवादित ढांचा विध्वंस हुआ था तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। वह 12 दिन तक डासना स्थित आध्यात्मिक नगर इंटर कॉलेज में बनाई गई अस्थायी जेल में रहे थे। यहां से छूटने के बाद वह जेल में कारसेवकों के खानपान से लेकर अन्य व्यवस्थाओं में जुटे रहे।