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40 दिन से अन्न त्याग आंदोलन में डटे हैं भाकियू के दरोगा जी

यूपी गेट किसान आंदोलन में शामिल भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के सदस्य दरोगा जी इन दिनों बेहद शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 06:49 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 06:49 PM (IST)
40 दिन से अन्न त्याग आंदोलन में डटे हैं भाकियू के दरोगा जी
40 दिन से अन्न त्याग आंदोलन में डटे हैं भाकियू के दरोगा जी

शाहनवाज अली, साहिबाबाद :

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यूपी गेट किसान आंदोलन में शामिल भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के सदस्य दरोगा जी इन दिनों बेहद शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं। 80 वर्षीय रामपाल उर्फ दरोगा जी करीब 40 दिन से अन्न ग्रहण नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ चाय और पानी पीकर आंदोलन में शामिल हैं। सबसे पहले दरोगा जी नाम से उन्हें भाकियू के पूर्व मुखिया चौ.महेंद्र सिंह टिकैत ने पुकारा था। आज भी भाकियू का हर कार्यकर्ता उनको रामपाल के नाम से कम, दरोगा जी के नाम से ज्यादा जानता और पहचानता है।

कृषि कानूनों के विरोध में भाकियू के बैनर तले 28 नवंबर को किसानों ने यूपी गेट पर आंदोलन आरंभ किया था, जिसमें विभिन्न जनपदों से आए किसानों ने दिल्ली जाने से रोकने पर यहां डेरा जमा लिया था। इसमें मुजफ्फरनगर जनपद के पुरकाजी क्षेत्र के गांव कम्हेडा निवासी भाकियू के वरिष्ठ कार्यकर्ता 80 वर्षीय रामपाल उर्फ दरोगा जी भी शामिल हुए। इन्होंने पहले दिन से ही यहां आकर विरोधस्वरूप अन्न ग्रहण नहीं किया। आंदोलन को करीब 40 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन वह अन्न ग्रहण न करने पर अडिग हैं। उनकी हालत दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है। उन्होंने बताया कि वह किसान आंदोलन में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के साथ खड़े रहे। आंदोलन जहां भी हो, बस उनका आदेश मिलना चाहिए। यही देखकर उन्होंने मुझे दरोगा जी के नाम से पुकारा और भाकियू कार्यकर्ता भी उन्हें रामपाल न कहकर दरोगा जी कहकर पुकारने लगे। उनका कहना है कि कृषि कानून किसान विरोधी हैं। सरकार इसे जब तक वापस नहीं लेगी, तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। करीब 40 दिन बीतने के बावजूद अन्न ग्रहण न करने पर अब उनके शरीर की हालत कमजोर होने लगी है। अलाव के पास लेटना और उठकर हाथ तापने के अलावा चाय और पानी के सहारे ही वह आंदोलन में शामिल हैं। जज्बे के पक्के : भाकियू के रामपाल दरोगा जी भले ही शरीर से कमजोर दिखाई देते हों, लेकिन उनके पास बैठे किसान धर्मवीर सिंह, राजेंद्र कुमार ने बताया कि वह जज्बे के पक्के हैं। 80 वर्ष की उम्र में भी वह हर आंदोलन का हिस्सा रहते हैं।


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