यूपी के हों तो मोबाइल से ही दर्ज हो जाएगी रिपोर्ट
अगर आप यूपी में रहते हैं तो एफआइआर के लिए थानों के चक्कर लगाना छोड़ दें, क्योंकि यहां अब प्राथमिक रिपोर्ट मोबाइल से ही दर्ज हो रही है। गूगल प्लेस्टोर से क्कष्टह्रक्क एप फ्री में डॉउनलोड कर अपना रजिस्ट्रेशन कर लें। वाहन चोरी, वाहन लूट, घर में चोरी, किसी भी तरह की स्नै¨चग, नाबालिगों की गुमशुदगी और साइबर अपराध से जुड़े मामलों के साथ गुमशुदा मामलों की रिपोर्ट भी लॉस्ट आर्टिकल्स के तहत दर्ज करा सकते हैं।
आयुष गंगवार, गाजियाबाद
अगर आप यूपी में रहते हैं तो एफआइआर के लिए थानों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां अब प्राथमिक रिपोर्ट मोबाइल से ही दर्ज हो रही है। गूगल प्लेस्टोर से क्कष्टह्रक्क (यूपीसीओपी) एप फ्री में डाउनलोड कर अपना रजिस्ट्रेशन कर लें। वाहन चोरी, वाहन लूट, घर में चोरी, किसी भी तरह की स्नै¨चग, नाबालिगों की गुमशुदगी और साइबर अपराध से जुड़े मामलों के साथ गुमशुदा मामलों की रिपोर्ट भी लॉस्ट आर्टिकल्स के तहत दर्ज करा सकते हैं। इसके तहत रंजिशन मुकदमे नहीं दर्ज कराए जा सकते, सिर्फ अज्ञात लोगों के खिलाफ ही एफआइआर की जा सकती है। हालांकि जानकारी के अभाव में एक जनवरी को लॉन्च होने के बाद अभी तक इस पर सिर्फ 122 मुकदमे ही पूरे प्रदेश में दर्ज हुए हैं। 39 मुकदमों के साथ गौतमबुद्धनगर प्रथम स्थान पर है, जबकि चौथे स्थान पर गाजियाबाद है, जहां सिर्फ आठ एफआइआर ही हुई हैं। कैसे करता है काम
एडीजी, तकनीकी सेवाएं आशुतोष पांडे ने बताया कि यह एप बेहद आसान है। कोई भी एक ही बार में इसे प्रयोग करना सीख सकता है। एफआइआर के लिए उसी तरह से तहरीर लिखनी पड़ेगी, जिस तरह से थाने में लिखकर देते हैं। एप पर सबसे पहले ओटीपी के साथ रजिस्ट्रेशन करें। एफआइआर दर्ज कराने के लिए भी ओटीपी देना होगा। अपनी डिटेल्स देने के बाद लिखित और हस्ताक्षरित तहरीर की फोटो अपलोड कर दीजिए। इसके 24 घंटे बाद ही स्टेटस में जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। एडीजी का कहना है कि घटना का विवरण जितना संक्षिप्त रखें, उतना ही बेहतर है। 27 तरह की सेवाएं उपलब्ध
डायल एफआइआर के तहत 100 नंबर पर कॉल करने से सिर्फ एफआइआर ही दर्ज होती थी, जबकि यूपी कॉप एप पर एफआइआर के साथ 27 तरह की सेवाएं देता है। इसमें चरित्र प्रमाण-पत्र, वेरिफिकेशन, किराएदार का सत्यापन, जुलूस अनुरोध, विरोध या हड़ताल, पीएम रिपोर्ट, फिल्म की शू¨टग, अज्ञात शव, गिरफ्तार आरोपित और साइबस अवेयरनेस समेत 27 तरह की सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है। एडीजी ने बताया कि इस एप के लिए गृहमंत्री राजनाथ ¨सह ने डीजीपी ओपी ¨सह को सम्मानित भी किया था। छह माह में बनकर तैयार हुआ एप फरवरी से पहले ही आइओएस पर भी उपलब्ध हो जाएगा।
अब भी नहीं जानते लोग
यह एप भले ही बेहद आसान है, लेकिन 19 दिन में यूपी के 75 जिलों से अभी तक कुल 122 एफआइआर ही एप के माध्यम से दर्ज कराई गई हैं। दो दर्जन से अधिक जिलों में अभी तक एक भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। इसकी वजह है कि लोग इसके बारे में जान नहीं पाते हैं। हालांकि एडीजी का कहना है कि रेडियो, पोस्टर, होर्डिंग व सोशल मीडिया के माध्यम से इस एप का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। यह एप पूरी तरह से जनता की सहूलियत के लिए बनाया गया है। पूरे देश में यूपी ई-एफआइआर लागू करने वाला पहला राज्य है। कोशिश करें कि तहरीर एक ही पेज की हो। तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए एप लगातार अपडेट किया जा रहा है।
- आशुतोष पांडे, एडीजी, तकनीकी सेवाएं, उत्तर प्रदेश।