अस्थायी खेल प्रशिक्षकों के समक्ष आर्थिक संकट गहराया
जागरण संवाददाता गाजियाबाद कोरोना संक्रमण के चलते खेल गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं। वहीं
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कोरोना संक्रमण के चलते खेल गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं। वहीं, अस्थायी खेल प्रशिक्षकों का पांच माह बीत जाने पर नवीनीकरण प्रक्रिया आरंभ नहीं की गई। खेल प्रशिक्षकों के समक्ष दिनोंदिन आर्थिक संकट गहरा गया है। नियुक्ति न होने तक उन्होंने जीविकोपार्जन के लिए मानदेय की मांग की है।
महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में तैराकी, बैडमिटन व एथलेटिक्स के स्थायी प्रशिक्षकों की तैनाती है। इसके अलावा वुशू, जूडो, कबड्डी, फुटबॉल, नेटबॉल, आर्चरी, हॉकी, कुश्ती आदि के लिए अस्थायी प्रशिक्षकों की तैनाती की जाती है। इस बार कोरोना संकट के चलते मार्च माह में ही खेल गतिविधियों का संचालन बंद कर दिया गया था। अस्थायी प्रशिक्षकों को मार्च माह का मानदेय तो मिला, लेकिन इसके बाद अस्थायी प्रशिक्षकों का नवीनीकरण नहीं हो सका। अधिकांश घरों पर हैं और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। अस्थायी खेल प्रशिक्षकों ने जीविकोपार्जन के लिए निश्चित मानदेय दिलाए जाने की मांग की है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए खेल गतिविधियां बंद की गई हैं। खेल प्रशिक्षकों के लिए उनकी रोजी-रोटी का साधन खेल प्रशिक्षण देने के बाद मिलने वाला मानदेय ही है। सरकार ने सभी वर्ग के लिए इस संकट के काल में हल निकाला। अस्थायी खेल प्रशिक्षकों के लिए भी सरकार आर्थिक पैकेज जारी करे।
- राघवेंद्र सिंह, वुशू प्रशिक्षक अस्थायी खेल प्रशिक्षक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। प्रदेश के कुछ जनपदों में खेलकूद प्रोत्साहन समिति की ओर से अस्थायी प्रशिक्षकों के लिए मदद की गई है। जिले में भी प्रोत्साहन समिति है इस संकट के दौर में अस्थायी खेल प्रशिक्षकों के लिए मानदेय के रूप में एक निश्चित धनराशि देना चाहिए।
- परवेज अली, जूडो प्रशिक्षक अस्थायी खेल प्रशिक्षकों के समक्ष निश्चित रूप से यह संकटकाल है। कोरोना वायरस के बचाव के लिए सरकार की ओर से खेल गतिविधियों को बंद किया गया। इसी के साथ अस्थायी खेल प्रशिक्षकों के नवीनीकरण पर कोई निर्णय नहीं हुआ। सरकार को चाहिए कि वह खेल प्रशिक्षकों के लिए राहत पैकेज दे।
- विभा चौधरी, नेटबॉल प्रशिक्षक