हाइटेक टाउनशिप बना रहे बिल्डरों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन
हाइटेक टाउनशिप योजना में जमीन देकर फंसे किसानों ने बुधवार को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के गेट पर प्रदर्शन किया। काफी संख्या में महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुईं। गुस्साए किसान आमरण अनशन करने की चेतावनी देते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि हाइटेक टाउनशिप में वेव सिटी बसा रहे मैसर्स उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का लाइसेंस खत्म होने का वक्त आ गया है। अब तक बिल्डर ने लाइसेंस में तय जमीन नहीं खरीदी। जिससे न ही वे उस जमीन का उपयोग कर पा रहे हैं, न ही उसे किसी को बेच पा रहे हैं। किसानों की मांग है बिल्डर की लाइसेंस अवधि न बढ़ाई जाए। सन सिटी को लेकर भी यही आपत्तियां लगाई। किसानों ने स्पष्ट कहा कि बिल्डर को फायदा पहुंचा तो वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : हाइटेक टाउनशिप योजना में जमीन देकर फंसे किसानों ने बुधवार को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के गेट पर प्रदर्शन किया। काफी संख्या में महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुई। गुस्साए किसान आमरण अनशन करने की चेतावनी देते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि हाइटेक टाउनशिप में वेव सिटी बसा रहे मैसर्स उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का लाइसेंस खत्म होने का वक्त आ गया है। अब तक बिल्डर ने लाइसेंस में तय जमीन नहीं खरीदी। जिससे न ही वे उस जमीन का उपयोग कर पा रहे हैं, न ही उसे किसी को बेच पा रहे हैं। किसानों की मांग है बिल्डर की लाइसेंस अवधि न बढ़ाई जाए। सन सिटी को लेकर भी यही आपत्तियां लगाई। किसानों ने स्पष्ट कहा कि बिल्डर को फायदा पहुंचा तो वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। ये है पूरा मामला
एक लाख लोगों को घर मुहैया कराने के लिए 2005 में शासन ने हाइटेक टाउनशिप योजना लॉन्च की थी। यहां कचैड़ा वारसाबाद, दुजाना, दुरियाई, महरौली, नायफल, बयाना, सादत नगर इकला, इनायतपुर, हाथीपुर खेड़ा, तालमपुर, मसूरी, डासना, दीनानाथपुरी पूठी, रघुनाथपुर और डासना देहात समेत 18 गांवों की जमीन पर हाइटेक सिटी बसाने के लिए दो बिल्डरों को लाइसेंस दिए गए थे। मैसर्स उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को वेव सिटी बसाने के लिए 4494 एकड़ भूमि का लाइसेंस दिया गया था। मैसर्स सनसिटी के लिए 4250 एकड़ भूमि का लाइसेंस जारी हुआ था। वर्ष 2009 से इस पर काम शुरू हो गया। इतने सालों में अब तक वेव सिटी करीब 3100 एकड़ भूमि किसानों से ले पाया है। जिस पर महज 10 हजार मकान ही बनाए जा सके हैं। वहीं सन सिटी मात्र 856 एकड़ भूमि ले पाया। इन्होंने निर्माण कार्य ही शुरू नहीं किया। इस योजना के लिए शासन से किसानों की जमीन अधिसूचित की थी। जिसकी वजह से किसान अपनी जमीन को न तो बेच पा रहे हैं, न ही बिल्डर से उन्हें पैसा मिल रहा है। ये है मांग
किसानों ने आरोप लगाया कि वेव सिटी की डीपीआर गुपचुप तरीके से संशोधित की जा रही है। जिसके लिए चुपचाप तरीके से आपत्तियां मांग ली गईं। जीडीए इस काम में बिल्डर का सहयोग कर रहा है। अरोप लगाया कि वेव सिटी की लाइसेंस अवधि जुलाई 2019 में समाप्त होने जा रही है। उसे भी आगे बढ़ाने की तैयारी है। किसानों ने हुंकार भरी की डीपीआर में संशोधन नहीं होना चाहिए। लाइसेंस अवधि नहीं बढ़नी चाहिए। मांग रखी कि डीनोटिफाइ करके उनकी जमीन को मुक्त किया जाए। 18 फरवरी को शासन लेगा निर्णय
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 18 फरवरी को हाई पावर कमेटी की बैठक में हाइटेक टाउनशिप के भविष्य पर निर्णय होगा। आसार इस बात के ज्यादा हैं कि जितनी जमीन लेकर निर्माण शुरू कर दिया गया, उस पर ही कार्य पूरा करने की अनुमति देकर प्रोजेक्ट को बंद कर दिया जाए। किसानों की बची हुई जमीन को मुक्त कर दिया जाए। जिससे वह बेच सकेंगे। जीडीए वीसी से मिले किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बैठक के बारे में अवगत कराया गया। जिसके बाद उन्होंने अनशन का निर्णय टालते हुए धरना खत्म किया। हाइटेक टाउनशिप योजना के तहत मैसर्स उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को वेव सिटी और मैसर्स सनसिटी हाइटेक इंफ्रास्ट्रक्चर सन सिटी बसाने के लिए लाइसेंस दिए गए थे। दोनों ही बिल्डरों ने लाइसेंस में निर्धारित से कम जमीन खरीदी है। वेव सिटी के लिए 60 फीसद जमीन ही खरीदी गई है। सन सिटी के लिए 20 फीसद जमीन खरीदी है। ऐसे में शासन 18 फरवरी को तय करेगा कि इन योजनाओं का भविष्य क्या होगा। किसानों की परेशानी जायज है। किसानों को इस बारे में बता दिया गया है।
- कंचन वर्मा, वीसी, जीडीए