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डॉग डे: कहीं दुत्कार कहीं प्यार.. लेकिन वफादार हैं कुत्ते

अभिषेक सिंह साहिबाबाद हर साल 26 अगस्त को डॉग डे मनाया जाता है। ट्रांस हिडन में भी कुत्तो

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 07:04 PM (IST)
डॉग डे:  कहीं दुत्कार कहीं प्यार.. लेकिन वफादार हैं कुत्ते
डॉग डे: कहीं दुत्कार कहीं प्यार.. लेकिन वफादार हैं कुत्ते

अभिषेक सिंह, साहिबाबाद: हर साल 26 अगस्त को डॉग डे मनाया जाता है। ट्रांस हिडन में भी कुत्तों को पालने वालों की संख्या काफी अधिक है। यहां पर महंगी महंगी कारों में भी कुत्ते घूमते हुए नजर आते हैं। लेकिन कई बार काटने वाले कुत्तों की वजह से लोग परेशानी का सामना करते हैं। कहीं दुत्कार तो कहीं प्यार मिलने के बावजूद कुत्ते वफादार हैं। बस जरूरत है तो इन कुत्तों की देखभाल करने की, क्योंकि कुत्तों का जीवन पूरी तरह मानव पर आश्रित है। ऐसे हुई डॉग डे की शुरुआत: इसकी शुरुआत अमेरिका की पशु प्रेमी और पैट एक्सपर्ट, कोलीन पैज ने 2004 में की थी। इसी दिन उनके घर में शैल्टी नामक एक कुत्ते को गोद लिया गया था। यह दिन पालतू और लावारिश दोनों ही तरह के कुत्तों के बारे में जागरूकता फैलाने और उनकी समस्याओं को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। राहत: विजय पार्क सोसायटी में एक स्ट्रीट डॉग था, जो हाल ही में मर गया। उसका नाम सोसायटी के निवासियों ने लालू रखा था। कुत्ते की वजह से सोसायटी के लोग बड़ी राहत महसूस करते थे। कोई संदिग्ध व्यक्ति सोसायटी में आता था तो वह उस पर भौंकने लगता था। पार्क में नशा करने के लिए आने वाले व्यक्तियों को लालू का इतना खौफ हुआ की उन्होंने वहां आना बंद कर दिया। कभी उस कुत्ते ने सोसायटी के किसी व्यक्ति को नहीं काटा। इसी तरह से कई लोग घर की सुरक्षा के लिए कुत्ता पालते हैं। कई वारदातें भी कुत्तों ने बचाई है। परेशानी: ट्रांस हिडन की कई सोसायटियों में बेसहारा कुत्ते पहुंच गए हैं। ये कुत्ते सोसायटी में रहने वाले बच्चों को काट लेते हैं। पिछले दिनों वसुंधरा सेक्टर-1 एलआइजी और इंदिरापुरम की सोसायटियों में कुत्तों के आतंक से परेशान होकर कई दिन तक सड़कों पर रेजीडेंट्स ने प्रदर्शन भी किया। सोसायटियों से कुत्तों को बाहर निकलवाने की मांग की, जिससे की बच्चे बिना कुत्तों के डर के घर से बाहर निकल सकें और पार्काें सहित दूसरे स्थानों पर जाकर खेल सकें। व्यवस्था: पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉक्टर अनुज सिंह ने बताया कि बेसहारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से रोकने के लिए उनकी नसबंदी करवाई जाती है। इसके अलावा कुत्तों का टीकाकरण किया जाता है। बेसहारा कुत्तों की वजह से लोग परेशान न हो, इसके लिए पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था को कुत्तों की देखरेख का जिम्मा दिया गया था। अब दूसरी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अनुराधा बचा रहीं चोटिल कुत्तों का जीवन: पूर्व में कविनगर वर्तमान में नोएडा में रहने वालीं अनुराधा मिश्रा बेसहारा कुत्तों को जीवन दे रही हैं। वह होप फॉर स्पीचलेस शॉल नाम से एक शेल्टर होम चलाती हैं। जिसमें 70-80 कुत्ते हैं। वह बताती हैं की कुत्तों को लोग जहर देकर मार भी देते हैं। ऐसे कृत्य न हों, इसे रोकने के लिए वह काम करती हैं। जो भी कुत्ते चोटिल या बीमार हो जाते हैं। सड़क पर लहूलुहान होते हैं। उनको वह रास्ते से अपनी कार में लेकर शेल्टर होम आती हैं। वहां पर उनकी देखभाल करती हैं। गाजियाबाद के भी कई चोटिल कुत्तों की वह देखभाल कर चुकी हैं। उनके पास पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, यूपी से भी बीमार, चोटिल कुत्तों को इलाज के लिए लेकर आते हैं। वह इन कुत्तों का इलाज के साथ ही देखभाल करती हैं, वह एक पशु चिकित्सक के साथ काम कर चुकी हैं।

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