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एयरफोर्स डे पर 1971 युद्ध की विजयगाथा की याद दिलाएगा डकोटा

सौरभ पांडेय, ¨हडन एयरबेस (गाजियाबाद): देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 05:48 PM (IST)
एयरफोर्स डे पर 1971 युद्ध की विजयगाथा की याद दिलाएगा डकोटा
एयरफोर्स डे पर 1971 युद्ध की विजयगाथा की याद दिलाएगा डकोटा

सौरभ पांडेय, ¨हडन एयरबेस (गाजियाबाद): देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रहा ¨हडन एयरबेस अब पाकिस्तान के साथ हुए 1947 और 1971 के युद्धों की विजयगाथा का भी गवाह बनेगा। इस वायुसेना दिवस पर एक और ¨वटेज विमान 'डकोटा' आकाश में करतब दिखाता भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास की झलक पेश करेगा। 17 अप्रैल को ब्रिटेन के कॉवेंट्री से उड़ान भर गुजरात के जामनगर एयरबेस पहुंचा विमान बृहस्पतिवार को गाजियाबाद के ¨हडन एयरबेस पहुंच गया। ¨हडन एयबरेस में चार मई को औपचारिक रूप से दोबारा वायुसेना में शामिल किया जाएगा। विमान को भारतीय वायुसेना ने 'परशुराम' नाम दिया है। परिवहन विमान (कार्गो प्लेन) डकोटा को 1930 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। विमान ने द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद वर्ष 1947 और 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लेते हुए विजय गाथा का गवाह बना था। 1947 युद्ध में भारत की जीत और कश्मीर बचाने में विमान का योगदान अद्वितीय था। विमान एक ट्रांसपोर्ट प्लेन है जो युद्ध के दौरान आर्मी की एक टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर लेकर गया और पुंछ पर पाकिस्तान का कब्जा नहीं होने दिया। वायुसेना के पीआरओ ¨वग कमांडर अनुपम बनर्जी ने बताया कि विमान ¨हडन एयरफोर्स पहुंच गया है। चार मई को इसे औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल किया जाएगा। एयरफोर्स डे पर टाइगर मॉथ और हावर्ड के साथ दिखाएगा करतब डकोटा आगामी आठ अक्टूबर एयरफोर्स डे पर ¨वटेज विमान टाइगर मॉथ और हॉवर्ड के साथ करतब दिखाएगा। इतना ही नहीं वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास के रूप में इसे प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक युवा वायुसेना की ओर आकर्षित हो सकें। वायुसेना अधिकारियों के अनुसार विमान पूरी तरह कबाड़ हो चुका था। करीब छह वर्ष तक ब्रिटेन में इसकी मरम्मत के बाद इसे दोबारा वायुसेना में शामिल किया जा रहा है। राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने इसे वायुसेना को भेंट किया है। राजीव चंद्रशेखर के पिता एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर डकोटा के पायलट थे। अधिकारियों के मुताबिक डकोटा का नंबर अब भी वीपी 905 होगा जो 1947 के युद्ध में बता दें कि जम्मू-कश्मीर भेजे गए पहले डकोटा विमान का नंबर भी था।

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विमान एक नजर में

क्षमता- 21-32 यात्री

लंबाई- 64 .8 फीट (19.7मीटर)

पंख की चौड़ाई- 95.2 फीट

ऊंचाई- 16.11 फीट

वजन- 7, 650 किलोग्राम

ईधन क्षमता-3736 लीटर

इंजन- एयर कूल्ड रेडियल पिस्टल इंजन 1100 हॉर्स पावर

अधिकतम गति- 370 किलोमीटर प्रतिघंटा

सामान्य गति- 333  किलोमीटर प्रतिघंटा

विशेषता : छोटे रनवे पर उतरने में सक्षम विमान के इतिहास की झलकियां:

1930 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ डकोटा

भारत का पहला महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है डकोटा

1947 में पाकिस्तान युद्ध में कश्मीर को बचाने में अहम योगदान

1947 भारत-पाक युद्ध में कश्मीर घाटी में आर्मी की टुकड़ी को पहुंचाया

1971 में पाकिस्तान युद्ध में भी कश्मीर बचाने में अहम भूमिका निभाई

1988 तक भारतीय वायुसेना को लगातार सेवाएं देता रहा है विमान

11500 फीट की ऊंचाई पर लेह पर उतरने वाला पहला एयरक्राफ्ट


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