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13 दिन का समय, फिर बोरवेल लगी इकाइयां होंगी सील

जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 27 हजार उद्योग संचालित हैं। इनमें अधिकांश उद्योगों में अवैध रूप अंधाधुंध जलदोहन हो रहा है। लगातार भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज होने पर गंभीर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऐसी इकाइयों को 30 सितंबर तक जलदोहन की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है। ऐसा न करने पर बोरवेल लगी इकाइयों को सील किया जाएगा। इसमें सर्वाधिक प्रभावित रोलिग मिल्स के अलावा वाटर बॉटलिग एवं शीतल पेय इंडस्ट्रीज होंगी। यहां पानी फिल्टर करने में प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 09:08 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 06:22 AM (IST)
13 दिन का समय, फिर बोरवेल लगी इकाइयां होंगी सील
13 दिन का समय, फिर बोरवेल लगी इकाइयां होंगी सील

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 27 हजार उद्योग संचालित हैं। कई फैक्ट्रियों में अवैध रूप अंधाधुंध जलदोहन हो रहा है। लगातार भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज होने पर गंभीर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऐसी इकाइयों को 30 सितंबर तक जलदोहन की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है। ऐसा न करने पर बोरवेल लगी इकाइयों को सील किया जाएगा। इसमें सर्वाधिक प्रभावित रोलिग मिल्स के अलावा वाटर बॉटलिग एवं शीतल पेय इंडस्ट्रीज होंगी। यहां पानी फिल्टर करने में प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।

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गाजियाबाद जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हो रहे दोहन से भू-जल का स्तर दिनोंदिन गिर रहा है। हालात भयावह हो चले हैं। जिसके चलते एनजीटी ने बोरवेल वाली इकाइयों को 30 सितंबर से पहले बंद करने का नोटिस दिया है। जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित 27 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों में से कइयों में बिना एनओसी बोरवेल लगे हैं। एनजीटी के नोटिस के बाद उद्यमियों ने इस मामले में अपनी ओर से जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि निगम की ओर से पेयजल व्यवस्था न कराने पर बोरवेल की व्यवस्था करनी पड़ी है। उधर, जल दोहन की बात करें तो एनजीटी के आदेश का असर सर्वाधिक आधा दर्जन से अधिक रोलिग मिलों, फिल्टर वाटर बॉटलिग व शीतल पेय प्लांट पर पड़ेगा, जिनकी संख्या जनपद में करीब डेढ़ दर्जन हैं। इन प्लांट से वाटर फिल्टर करते समय प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। इन प्लांट पर ही एनजीटी की नजर है।

लोनी में स्थिति सबसे खराब

ब्लॉक- भूजल रिचार्ज (हेक्टेयर मीटर)-भूजल दोहन (हे.मी)-भूजल दोहन प्रतिशत

लोनी- 4381.31- 7414.48- 169.23

भोजपुर- 7082.38- 8937.74- 126.20

रजापुर- 5849.11- 6513.58- 111.36

मुरादनगर- 11255.79- 7645.63- 67.93

कुल- 29233.06- 31251.26- 106.90

(स्त्रोत-उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग)

29 सालों में 685.50 एमएलडी पानी की होगी कमी

वर्ष-आबादी-पानी की मांग-उपलब्धता-कमी

2011-12.5-249.12-220-29.12

2017-15.9-317.14-210-107.14

2021-19.2-383.76-210-173.76

2031-29.9-598.35-210-385.35

2041-44.8-895.50-210-685.50

(आबादी-लाख में, पानी की मांग व आपूर्ति मिलियन लीटर परडे में)

(स्त्रोत : आइआइटी रुड़की रिपोर्ट)

जनसंख्या-4681645

वार्षिक भूजल रिचार्ज : 29233.06 हेक्टेयर मीटर

वार्षिक भूजल दोहन : 31251.26 हेक्टेयर मीटर

औसत वर्षा-620.428 मिमी.

मानसून वर्षा-275.20 मिमी.

अतिदोहित ब्लॉक-भोजपुर, लोनी और रजापुर एनजीटी के आदेश पर केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण ने औद्योगिक क्षेत्र में बिना एनओसी के चल रहे 40 हजार से अधिक बोरवेल को बंद करने का नोटिस जारी किया है। आवेदन के बावजूद भी एनओसी नहीं मिलने और पेयजल संकट पैदा होने का हवाला देकर उद्यमियों ने इसका विरोध किया है। इस मामले में केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री से शिकायत कर बोरवेल की एनओसी देने की मांग कर चुके हैं।

- राजीव अरोरा, सचिव, एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चर्स

औद्योगिक क्षेत्र में पेयजल एक बड़ी समस्या है, जिसका उद्यमियों ने हवाला देते हुए कहा है कि कर अदायगी के बावजूद निगम की ओर से इस ओर कोई प्रयास नहीं किया गया। उद्योगों में काम करने वाले कर्मियों के पीने का पानी कैसे मुहैया होगा। इसे लेकर बीच का रास्ता निकालते हुए बोरवेल बंद होने पर पीने के पानी की सप्लाई निगम की ओर से टैंकरों से की जाएगी।

- बीरेंद्र कुमार, उपायुक्त जिला उद्योग केंद


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