दोहरे हत्याकांड में छह दोषी करार, सजा पर बहस आज
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : हापुड़ के हाफिजपुर थानाक्षेत्र में वर्ष 2012 में हुए दोहरे हत्याकांड
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :
हापुड़ के हाफिजपुर थानाक्षेत्र में वर्ष 2012 में हुए दोहरे हत्याकांड में बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-4 कुणाल वेपा की अदालत ने छह आरोपितों को दोषी करार दिया। छेड़छाड़ का मुकदमा वापस न लेने पर दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। छेड़छाड़ का मुकदमा अब भी अदालत में विचाराधीन है। दोहरे हत्याकांड में सजा पर बहस आज यानि 17 मई को होगी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता गजेंद्र त्यागी ने बताया कि हापुड़ के हाफिजपुर थानाक्षेत्र स्थित शाहबुद्दीनपुर गांव में एक जुलाई 2012 को गोली मारकर प्रेमपाल व राजकुमार की हत्या कर दी गई थी। मामले में प्रेमपाल के बेटे सतीश ने नीरज, तेजवीर, उदयवीर, गौरव, धीरज व कुंवरपाल पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-4 कुणाल वेपा की अदालत में यह मामला जिला जज के आदेश पर विशेष ईसी एक्ट अदालत से स्थानांतरित होकर पहुंचा था। फरवरी 2018 से मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई और 22 तारीख पर बहस सुनने के बाद अदालत ने उपरोक्त सभी छह आरोपितों को दोषी करार दिया।
-----------
- सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह में मामला निस्तारित के दिए थे आदेश -
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता गजेंद्र त्यागी ने बताया कि घटना के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नीरज, तेजवीर, उदवीर, गौरव, धीरज व कुंवरपाल को जेल भेज दिया था। इसके बाद धीरज व उदयवीर को छोड़कर बाकी सभी आरोपितों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। इसके चलते इन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी डाली। इस पर अदालत ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए तीन माह में मुकदमा निस्तारित करने के आदेश मार्च 2017 में दिए। धीरज व उदयवीर को दो दिन बाद 24 मार्च को आदेश मिल गया था, लेकिन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश अक्टूबर 2017 में विशेष ईसी एक्ट अदालत में पेश किया किया। इसके बाद वादी पक्ष ने जिला जज की अदालत में इस संबंध में शिकायत प्रार्थना पत्र दिया। इस पर जिला जज की अदालत ने मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-4 कुणाल वेपा की अदालत में स्थानांतरित किया।
------------
- यह था हत्या का कारण -
आरोपित धीरज ने वादी पक्ष के एक परिचित की बेटी से छेड़छाड़ की थी। इसके चलते पीड़िता पक्ष ने धीरज के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मुकदमे का वापस लेने के लिए आरोपित पक्ष लगातार दबाव व धमकी दे रहे थे। बात न मानने पर ही दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया।