सीबीआइ कोर्ट में स्वीकृत हुई एएमयू के पूर्व वीसी की क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआइ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी नसीम अहमद समेत चार आरोपितों के खिलाफ दी गई क्लोजर रिपोर्ट को सीबीआइ की विशेष अदालत ने स्वीकृत कर लिया है। विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में सबूत नहीं मिलने पर सीबीआइ टीम ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपना आदेश दिया है। आरोप है कि वीसी नसीम अहमद ने नियमों को ताक पर रखकर असिस्टेंट फाइनेंस आफिसर (एएफओ) को नियुक्त किया था।
राहुल सिंह, गाजियाबाद : सीबीआइ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी नसीम अहमद समेत चार आरोपितों के खिलाफ दी गई क्लोजर रिपोर्ट को सीबीआइ की विशेष अदालत ने स्वीकृत कर लिया है। न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में सबूत नहीं मिलने पर सीबीआइ टीम ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपना आदेश दिया है। आरोप था कि वीसी नसीम अहमद ने नियमों को ताक पर रखकर असिस्टेंट फाइनेंस आफिसर (एएफओ) को नियुक्त किया था।
नसीम अहमद वर्ष 2002 से 2007 तक से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उस दौरान एएमयू में एएफओ की भर्ती के लिए 22 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से नौ लोगों को इस पद के लिए योग्य पाया गया था, लेकिन इसमें शाकेब अरसलान का नाम नहीं था। बाद में शाकेब अरसलान ने एएमयू में अपील की कि उसकी सीए की डिग्री को नजरअंदाज कर दिया गया, इसलिए उसे इस योग्य नहीं पाया गया और उसकी इस डिग्री को स्वीकार किया जाए। उस समय एएमयू के डिप्टी फाइनेंस आफिसर यास्मिन जलाल बेग ने अरसलान की अपील को स्वीकार करते हुए उसके नाम को शामिल करने की संस्तुति कर दी थी, जबकि बेग इसके लिए अधिकृत नहीं थे। सीबीआइ ने बेग को भी आरोपित बनाया था। आरोप था कि सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच में पाया था कि सीए की जिस डिग्री के आधार पर अरसलान के इस पद से लिए सबसे योग्य बताते हुए नियुक्त किया गया था। वही सीए की डिग्री वाले एक अन्य उम्मीदवार को बाहर कर दिया गया। यही नहीं, अरसलान ने एएमयू के सामने झूठा दावा किया कि उसे सीए में 55 फीसदी अंक मिले थे। जांच में पाया गया कि उसे कम अंक मिले थे और बाहर किये उम्मीदवार के सीए में ज्यादा अंक थे। वहीं, इस मामले में सीबीआइ ने नसीम अहमद, यासीन जलाल बेग, प्रोफेसर नाजिम अली और अरसालन को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोपित बनाते हुए जनवरी 2018 में सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने इस मामले की जांच की। जांच में सीबीआइ को आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले। इसके चलते सीबीआइ ने इस मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सीबीआइ की विशेष अदालत में दाखिल की, जिसे अदालत ने सुनवाई के बाद स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब पूर्व वीसी समेत चारों के खिलाफ केस नहीं चलेगा।