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प्रकाश विभाग में ठेके पर नियुक्तियों को 'क्लीन चिट'

जासं गाजियाबाद नगर निगम के प्रकाश विभाग में ठेके पर कर्मचारियों को रखने के मामले में अि

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 07:38 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 07:38 PM (IST)
प्रकाश विभाग में ठेके पर नियुक्तियों को 'क्लीन चिट'
प्रकाश विभाग में ठेके पर नियुक्तियों को 'क्लीन चिट'

जासं, गाजियाबाद : नगर निगम के प्रकाश विभाग में ठेके पर कर्मचारियों को रखने के मामले में अनियमितता बरतने के आरोपों से इन्कार कर क्लीन चिट दे दी गई है। निगम के प्रकाश विभाग ने जहां इस संबंध में प्रेसनोट जारी किया तो वहीं मेयर आशा शर्मा ने भी कहा कि पत्रावली आदि की जांच कर ली गई है। इसमें कोई खामी नहीं मिली है। अभी तक कर्मचारियों को कोई भुगतान भी नहीं मिला है। इन्हें शासन से ब्लैक लिस्ट कंपनी को भुगतान की जाने वाली राशि से वेतन दिया जाएगा। वहीं, पार्षद राजेंद्र त्यागी ने इसे लीपापोती बताते हुए कहा कि नियुक्तियां सभी नियम-कायदों को ताक पर रखकर की गई हैं।

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राजेंद्र त्यागी ने यह मामला उठाया तो मेयर ने भी आपत्ति जताई थी। वहीं शुक्रवार को प्रकाश विभाग के अधिशासी अभियंता मनोज प्रभात ने इस संबंध में प्रेसनोट भी जारी किया। उन्होंने बताया कि शहर में लगी 60 हजार स्ट्रीट लाइट के मेंटीनेंस के लिए सिर्फ 100 कर्मचारी थे। पार्षदों ने प्रकाश विभाग में कर्मचारियों को बढ़ाने की मांग की थी। बीते साल हुई कार्यकारिणी व बोर्ड मीटिग में इस पर सहमति बनी और आउटसोर्सिंग के लिए अर्थमूवर कंपनी को टेंडर दे 64 कर्मचारियों को रखा गया। ये कर्मचारी अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। पार्षदों ने इसकी पुष्टि भी की है। कहा कि इन कर्मचारियों को तय प्रक्रिया के तहत ही रखा गया है।

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वेतन दिया तो कोर्ट पहुंचेगा मामला

पार्षद राजेंद्र त्यागी ने कहा कि कार्यकारिणी नगर निगम की प्रशासक होती है तो क्लीन चिट कोई और कैसे दे सकता है। निगम अधिकारी व नेताओं के रिश्तेदारों को 10 साल पुराने कर्मियों से दोगुना वेतन पर रखा गया है। भर्ती के लिए पहले कमेटी गठित की जाती। मगर अपने चहेतों को रखकर अलग-अलग क्षेत्रों का सुपरवाइजर बना दिया गया, जबकि लाइट इंस्पेक्टरों के अंडर में इन लोगों को काम करना चाहिए था। यह नीतिगत फैसला है, जिसका अधिकार सिर्फ कार्यकारिणी को है। राजेंद्र त्यागी ने कहा कि इस मुद्दे को कार्यकारिणी में उठाएंगे। यदि नगर निगम से इन कर्मियों को वेतन देने की कोशिश की तो मामले को कोर्ट ले जाएंगे।


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