विवाहिता की हत्या करने वाले चार को आजीवन कारावास
एडीजे कोर्ट चार के जज कुणाल वेपा ने विवाहिता को जलाकर मारने वाले सास ससुर देवर व चचिया ससुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए तीस-तीस हजार का जुर्माना लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। अभियोजन पक्ष के गवाह व मृतका के चाचा इकबाल के कोर्ट में पक्षद्रोही होने पर अदालत ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है। सहायक शासकीय अधिवक्ता अनिल शर्मा ने बताया कि 2012 में बुलंदशहर के नंगला बहादुर नगर निवासी अनवार ने अपनी बेटी शबाना की शादी भोजपुर के अमराला गांव में रहने वाले युवक इमरान से की थी। नौ अगस्त 2016 को अनवार ने भोजपुर थाना क्षेत्र में तहरीर देते हुए कहा कि शबाना पर उसकी सास हजारा देवर अफजल चचेरा ससुर आशु और ससुर बाबू उर्फ बाबुद्दीन ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : एडीजे कोर्ट चार के जज कुणाल वेपा ने विवाहिता को जलाकर मारने वाले सास, ससुर, देवर व चचिया ससुर को आजीवन कारावास की सजा के साथ तीस-तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। अभियोजन पक्ष के गवाह व मृतका के चाचा इकबाल के कोर्ट में पक्षद्रोही होने पर अदालत ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
सहायक शासकीय अधिवक्ता अनिल शर्मा ने बताया कि 2012 में बुलंदशहर के नंगला बहादुर नगर निवासी अनवार ने अपनी बेटी शबाना की शादी भोजपुर के अमराला गांव में रहने वाले युवक इमरान से की थी। नौ अगस्त 2016 को अनवार ने भोजपुर थाना क्षेत्र में तहरीर देते हुए कहा कि शबाना पर उसकी सास हजारा, देवर अफजल, चचेरा ससुर आशु और ससुर बाबू उर्फ बाबुद्दीन ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया है। इससे वह गंभीर रूप से झुलस गई है, उसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले गए। स्थिति गंभीर होने पर दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया, वहां से भी स्थिति में सुधार न होने पर मेरठ के शुभारती अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका गंभीर हालात में इलाज चल रहा है। उपचार के दौरान पुलिस कर्मियों ने शबाना के बयान दर्ज किए, जिसमें उसने बताया कि दोनों चचेरे ससुर ने उसके हाथ पकडे़ और देवर ने मिट्टी का तेल डाला और सास ने माचिस जलाकर आग लगा दी। 21 अगस्त 2016 को शबाना ने नायब तहसीलदार के सामने दोबारा मजिस्ट्रेट बयान दर्ज कराए, जिसमें उसने दोबारा वहीं बात दोहराई। उसी दिन उपचार के दौरान शबाना की मौत हो गई। मामले के निस्तारण के लिए हाई कोर्ट ने नियमित सुनवाई का आदेश दिया था। इससे छह महीने के अंदर ही अदालत ने फैसला सुना दिया।