कोविड-19 को ध्यान में रखकर होगी शहरों की प्लानिग
प्रदेश में अब शहरों की प्लानिग कोरोना संक्रमण (कोविड-19) काल को ध्यान में रखकर होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स के विशेषज्ञों ने इस पर मंथन किया है। अब तक हुए चार वेबिनार से निचोड़ निकला है कि आपदा में जैविक महामारी को शामिल किया जाए। भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए शहरों की प्लानिग करते वक्त कामगारों के लिए शेल्टर और छोटे से लेकर बड़े अस्पतालों की पर्याप्त व्यवस्था मास्टरप्लान में की जाए। शहर के एक हिस्से में मेडिसिटी बनाने का सुझाव भी आया है। जिसमें अस्पतालों के अलावा आइसोलेशन और क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाएं। सीमाएं सील होने की परिस्थिति से निपटने के लिए वर्क प्लेस और रेजीडेंस की दूरी कम करने पर बल दिया गया है। उत्तर प्रदेश एनसीआर प्लानिग सेल के अधिकारियों ने बताया कि मास्टरप्लान-2031 बनाने में गाजियाबाद समेत अन्य शहरों की प्लानिग इन बदलावों को शामिल करते हुए की जाएगी।
आशीष गुप्ता, गाजियाबाद :
प्रदेश में अब शहरों की प्लानिग कोरोना संक्रमण (कोविड-19) काल को ध्यान में रखकर होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स के विशेषज्ञों ने इस पर मंथन किया है। अब तक हुए चार वेबिनार से निचोड़ निकला है कि आपदा में जैविक महामारी को शामिल किया जाए। भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए शहरों की प्लानिग करते वक्त कामगारों के लिए शेल्टर और छोटे से लेकर बड़े अस्पतालों की पर्याप्त व्यवस्था मास्टरप्लान में की जाए। शहर के एक हिस्से में मेडिसिटी बनाने का सुझाव भी आया है। इसमें अस्पतालों के अलावा आइसोलेशन और क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाएं। सीमाएं सील होने की परिस्थिति से निपटने के लिए वर्क प्लेस और रेजीडेंस की दूरी कम करने पर बल दिया गया है। उत्तर प्रदेश एनसीआर प्लानिग सेल के अधिकारियों ने बताया कि मास्टरप्लान-2031 बनाने में गाजियाबाद समेत अन्य शहरों की प्लानिग इन बदलावों को शामिल करते हुए की जाएगी। 500 और 200 बेड का नहीं एक भी अस्पताल
कहने को गाजियाबाद दिल्ली से सटा एनसीआर का महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन यहां 500 और 200 बेड का एक भी सरकारी और निजी अस्पताल नहीं है। अर्बन एंड रीजनल डेवलपमेंट प्लांस फॉर्मूलेशन एंड इंप्लीमेंटेशन गाइडलाइन (यूआरडीपीएफआइ) के मानकों के अनुसार ढाई लाख की आबादी पर एक 500 बेड का अस्पताल होना चाहिए। एक लाख की आबादी पर 200 बेड का सामान्य और 200 बेड का सुपरस्पेशलिटी अस्पताल होना चाहिए। इस मानक के हिसाब से जिले की आबादी को देखते हुए अब तक 500 बेड के 14 और 200 बेड के दोनों प्रकार के 35-35 अस्पताल होने चाहिए। आपदा का मतलब था भूकंप और बाढ़
अब तक शहरों की प्लानिग करते वक्त आपदा का मतलब भूकंप और बाढ़ ही समझा जाता था। पुराने मास्टरप्लान में इन्हीं दो आपदाओं का जिक्र है। पहली बार दुनिया ने कोरोना जैसी महामारी का सामना किया। टाउन प्लानर्स का मानना है कि यह सबसे खराब दौर है। दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स के सदस्यों ने इस महामारी को देखते हुए आपदा में जैविक महामारी को शामिल करते हुए उससे निपटने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर जोर देना चाहिए।
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वर्क प्लेस से रिहायश की दूरी कम की जाए
कोरोना संक्रमण के प्रकोप को जिलों और राज्यों की सीमाएं सील की गईं। लॉकडाउन लगाकर आवाजाही रोकी गई। टाउन प्लानिग के विशेषों ने अब तक वेबिनार में जाहिर किया पूर्ण लॉकडाउन की स्थिति में तो कुछ करना मुमकिन नहीं। लेकिन सीमाएं सील होने की दशा में आई कामकाज की दिक्कतों को कम करने के बारे में विचार किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने राय दी है कि औद्योगिक और कॉमर्शियल क्षेत्रों की प्लानिग करते वक्त खास ख्याल रखा जाए कि पास ही में आवासीय क्षेत्र भी विकसित किया जाए। जिससे वर्क प्लेस और रेजीडेंस की दूरी कम की जाए। कामगारों की बिगड़ी स्थिति को देख अध्ययन का सुझाव दिया गया है। ताकि अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर पर्याप्त शेल्टर होम की व्यवस्था की जा सके। कोरोना जैसी मुसीबत आने पर कामगारों को उसमें शिफ्ट किया जा सके।
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नए मास्टरप्लान कोविड-19 को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे। शासन के ऐसे निर्देश हैं। खासतौर पर एनसीआर के शहरों की बेहतर प्लानिग की जाएगी। ताकि भविष्य में ऐसी महामारी से आसानी से निपटा जा सके। इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स ने कई सुझाव दिए हैं।
- एससी गौड़, चीफ कोऑर्डिनेटर टाउन प्लानर, उत्तर प्रदेश एनसीआर सेल