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भू-उपयोग परिवर्तन न होने से प्रोजेक्ट से हाथ खींचना चाहते हैं बिल्डर

भू-उपयोग परिवर्तन न होने से कई बिल्डर प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के प्रोजेक्ट से हाथ पीछे खींचना चाहते हैं। चार बिल्डरों को लंबे वक्त से अनुमति नहीं मिल रही है। इस वजह से वह चाहते हैं कि उनकी भेजी गई डीपीआर को निरस्त करा दिया जाए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 08:38 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 06:01 AM (IST)
भू-उपयोग परिवर्तन न होने से प्रोजेक्ट से हाथ खींचना चाहते हैं बिल्डर
भू-उपयोग परिवर्तन न होने से प्रोजेक्ट से हाथ खींचना चाहते हैं बिल्डर

जासं, गाजियाबाद : भू-उपयोग परिवर्तन न होने से कई बिल्डर प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के प्रोजेक्ट से हाथ पीछे खींचना चाहते हैं। चार बिल्डरों को लंबे वक्त से अनुमति नहीं मिल रही है। इस वजह से वह चाहते हैं कि उनकी भेजी गई डीपीआर को निरस्त करा दिया जाए।

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प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के पुराने प्रारूप के तहत प्राइवेट बिल्डरों ने साढ़े चार लाख रुपये में दो कमरे के फ्लैट की ग्रुप हाउसिग बनाने का प्रोजेक्ट तैयार कर जीडीए को सौंपा था। यहां से उनके प्रोजेक्ट शासन को भेज दिए गए थे। कई बिल्डरों ने औद्योगिक और कृषि भूमि को भू-उपयोग बदलवाने की अर्जी भी दी थी। पिछले आठ महीने में किसी बिल्डर को भू-उपयोग परिवर्तन के लिए अनुमति नहीं मिली है। इस वजह से इनके नक्शे अटके हुए हैं। बिल्डरों का कहना है कि शासन ने और देरी की तो वह प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पाएंगे। जीडीए के सीएटीपी आशीष शिवपुरी ने बताया कि भू-उपयोग परिवर्तन की अनुमति शासन स्तर से मिलती है। कई बार उसमें वक्त लग जाता है। ऐसे में बिल्डरों को धैर्य रखना चाहिए।


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