स्क्रीनिग से रुकेगी रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब की कालाबाजारी
बता दें कि जिले में दोनों इंजेक्शन की उपलब्धता कम होने के साथ ही शासन से कालाबाजारी की शिकायतें की गई थीं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : गंभीर कोरोना संक्रमित को लगाए जाने वाले रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए ऑनलाइन स्क्रीनिग होगी। औषधि प्रसाधन विभाग ने कुछ अस्पतालों द्वारा इनके मनमाने दाम वसूलने पर शासन के निर्देश पर ऑनलाइन स्क्रीनिग शुरू की है। बता दें कि जिले में दोनों इंजेक्शन की उपलब्धता कम होने के साथ ही शासन से कालाबाजारी की शिकायतें की गई थीं।
गंभीर संक्रमित को लगाए जाने वाले रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कुछ अस्पतालों ने कालाबाजारी की। इस पर फेडरेशन ऑफ केमिस्ट एसोसिएशन ने शासन से शिकायत की। एसोसिएशन के महामंत्री राजदेव त्यागी ने बताया इनको लेकर मांग पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यमंत्री अतुल गर्ग को मेल किया गया। इसमें कोविड-19 से ग्रसित वेंटिलेटर पर मरीजों के काम आ रहे रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब की उपलब्धता की मांग की गई थी। रेमडेसिवीर का मूल्य बाजार में चार हजार रुपये व टोसिलिजुमैब पर अंकित मूल्य 40 हजार 500 रुपये है। शुरुआत में रेमडेसिवर 20 से 25 हजार व और टोसिलिजुमैब की 90 हजार रुपये तक कालाबाजारी की गई। फेडरेशन के सुझावों को ध्यान में रखते हुए शासन ने एक कमेटी गठित की है, जिसमें काबीना मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप और राज्यमंत्री अतुल गर्ग भी शामिल हैं। कमेटी के निर्देश पर रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब की बिक्री के लिए कंपनियों ने कुछ ही दुकानों को स्टॉक देने की व्यवस्था की है। खरीद पर मरीज का आधार कार्ड, ऑनलाइन दवा का भुगतान अस्पताल के पर्चे पर दवा की अनुपलब्धता होने पर मरीज के लिए जरूरी होने की बात चिकित्सक लिखेगा। इसकी कालाबाजारी रोकने के लिए दवा की खरीद-फरोख्त की ऑनलाइन स्क्रीनिग होगी। रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब की कालाबाजारी की शिकायत नहीं मिली है। शुरू के दिनों में जरूर इसकी उपलब्धता नहीं होने पर कुछ अस्पतालों ने दिल्ली व अन्य जगह से इसकी खरीद की थी। इन दवाओं की खरीद को लेकर ऑनलाइन निगरानी के लिए शासन की ओर से कमेटी का गठन किया गया है। शासन की मंशा जरूरी दवाओं की कालाबाजारी पर अंकुश लगाना है।
- अनुरोध कुमार भारती, जिला औषधि निरीक्षक