प्रदूषण के कारण बढ़े हैं अस्थमा के मामले
वायु प्रदूषण को दीपावली पर की गई आतिशबाजी ने और खतरनाक रूप दे दिया है। त्योहार के बाद सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में अस्थमा के मामले बढ़े हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : दीपावली पर की गई आतिशबाजी ने वायु प्रदूषण को और खतरनाक रूप दे दिया है। त्योहार के बाद सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में अस्थमा के मामले बढ़े हैं। चिकित्सकों की सलाह है कि सांस लेने में हो रही तकलीफ को देखते हुए विशेष एहतियात लोगों को बरतनी चाहिए। खासतौर पर अस्थमा पीड़ितों को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है, जिससे परेशानी न बढ़े।
पिछले दो, तीन दिनों में अस्पतालों में अस्थमा के मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि खतरनाक गैसें जैसे कि कार्बन डाईऑक्साइड और सल्फर मोनोऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड पटाखे जलाने से रिलीज होते हैं, जो सांस के जरिए सीधा हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और श्वसन क्रिया में बाधक बनते हैं। जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है, उन्हें अपनी दवाएं लेना जारी रखना चाहिए। इसके साथ ही चिकित्सकों से पूर्व परामर्श भी जरूरी है ताकि जब अचानक हवा में प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाए से तो उसके प्रभाव से खुद को सुरक्षित रखने का उपाय अपनाया जा सके। बचाव के लिए ये तरीके अपनाएं
पलमोनोलॉजिस्ट डॉ. ज्ञान भारती का कहना है कि हवा में भारीपन की यह स्थिति कुछ दिनों तक रह सकती है। ठंड की वजह से वातावरण प्रदूषण को बरकरार रखने में सहायक साबित होता है। खास तौर से पर्टिकुलेट मैटर लंबे समय तक वातावरण में रहता है। बच्चों, बुजुर्गो और गर्भवती महिलाओं को बाहर जाते समय मास्क पहनना चाहिए। जबकि घर में रहने के दौरान सांस के जरिए प्रदूषक तत्व भीतर जाने से रोकने के लिए मुंह व नाक पर गीला कपड़ा लगा कर रखें। इसके अलावा बागवानी से निकलने वाले कचरे को जलाने के बजाए खाद बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अपने खान-पान को लेकर भी सतर्क रहना जरूरी है। आहार में ताजे फल व हरी सब्जियां जरूर शामिल करें।