नीलम की मौत के बाद स्वजनों का दर्द बांटने तक नहीं आए अफसर
जागरण संवाददाता साहिबाबाद बेरहम सिस्टम ने गर्भवती नीलम की जान ले ली लेकिन दो दिन बीतने के
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद: बेरहम सिस्टम ने गर्भवती नीलम की जान ले ली, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी उनके घर पर कोई अफसर दर्द बांटने तक नहीं पहुंचा। मामला नोएडा, गाजियाबाद की सीमा के विवाद में फंस गया है। इस मामले में दो दिन बाद तक रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई है, न ही परिवार ने अभी तहरीर दी है। स्वजनों का रोकर बुरा हाल है, अब उनकी मांग है कि नीलम की मौत के बाद प्रशासन लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्रवाई करे, जिससे की अन्य किसी व्यक्ति की जान इलाज के अभाव में जान न जाए। खासतौर पर इस घटना के बाद खोड़ा में रहने वाली अन्य गर्भवती महिलाएं भी चितित हो गई हैं, उनको डर है कि कहीं उनको भी अस्पताल वाले उपचार देने से न मना कर दें। नीलम के जेठ शैलेंद्र ने बताया कि रविवार को ब्रजघाट जाकर वह नीलम की अस्थि विसर्जन कर आए हैं। परिवार में नीलम का पांच साल का इकलौटा बेटा रुद्र है, जिसे मां के खुद से दूर जाने का गम है। इस दुखद घटना से आसपास के लोग भी चितित हैं, उनका कहना है कि इलाज न मिलने के कारण हुई नीलम की मौत से अब लोगों के मन में एक सवाल आ रहा है कि अगर बीमार होने पर उनको अस्पताल जाना पड़ा तो उनको भर्ती भी किया जाएगा या नहीं, खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को यह डर सताने लगा है। वहीं, नीलम की जेठानी सुषमा का कहना है कि जिस अस्पताल में नीलम चार दिन भर्ती रही थीं, अगर डॉक्टरों को डर था तो वह नीलम का कोरोना टेस्ट उसी वक्त कर लेते, इसके लिए जो भी खर्च होता वह भी देने के लिए परिवार के लोग तैयार थे। लेकिन डॉक्टरों ने बताया था कि नीलम स्वस्थ है, उसे घर ले जाओ। वह घर ले आए और चंद घंटे बाद ही वह दोबारा बीमार हो गई, जिसके बाद किसी भी अस्पताल ने उसका इलाज नहीं किया। वह ऑक्सीजन मांगती रही, लेकिन उसे किसी डॉक्टर ने छुआ तक नहीं, उनकी गोद में ही नीलम की जान चली गई। दो जिलों में फंस गया मामला: खोड़ा में सेक्टर स्कीम लागू है, जोनल मजिस्ट्रेट और सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। नीलम की मौत के बाद स्वजनों ने खोड़ा में ही तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट को पूरे मामले की जानकारी दे दी है। शैलेंद्र ने बताया कि रविवार शाम को उनके पास नोएडा जिला प्रशासन के कार्यालय से कॉल आई और जानकारी देने के लिए सेक्टर-30 स्थित अस्पताल बुलाया, वह जानकारी देने के लिए शाम को अस्पताल गए। गाजियाबाद प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनके घर कोई नहीं आया है।