शहर में नहीं बिकेगी मिलावटी मावा की मिठाई
संवाद सहयोगी लोनी त्योहार के करीब आने पर मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है। जिसके चलते मिल
संवाद सहयोगी, लोनी: त्योहार के करीब आने पर मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है। जिसके चलते मिलावटी मावा से मिठाई बनाने वाले सक्रिय हो जाते हैं। सिथेटिक मावा के प्रयोग से किडनी और लीवर पर असर पड़ने से फूड प्वाइजनिंग, डायरिया और पेट की बीमारियां होती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने मिलावटी मावा और मिठाई की जांच के लिए मिष्ठान की दुकानों से सैंपल एकत्र करने की बात कही है।
त्योहार के पास आते ही सिथेटिक मावा का अवैध कारोबार शुरू हो जाता है। थोडे़ मावा को अधिक करने के लिए दुकानदार उसमें मैदा मिला देते हैं। सिथेटिक मावा से बनी मिठाइयां को खाने से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। जिससे फूड प्वाइजनिग, डायरिया जैसी बीमारियों की आशंका बनी रहती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी धमेंद्र सिंह ने बताया कि त्योहार पर मिलावटी मिठाइयों के सैंपल लेने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। मजिस्ट्रेट की निगरानी में टीम के अधिकारी दुकानों से सैंपल एकत्र करेंगे। उन्होंने बताया कि जल्द ही शहर में संचालित मिठाई की दुकानों से मिठाइयों और खाद्य सामग्री के सैंपल एकत्र कर जांच के लिए भेजे जाएंगे।
ऐसे करे असली मावा की पहचान: मावा खरीदने से पहले दुकान पर मावा को हाथ में लेकर उसकी गोली बनानी चाहिए। यदि गोली बनाते समय मावा फटने लगे तो समझना चाहिए कि मावा में मिलावट की हुई है। वहीं बुजुर्गो की माने तो असली मावा को मसलने पर उसमें से घी की महक आती है।