यमुना विकास प्राधिकरण के आरोपित ने दाखिल की जमानत अर्जी
सीबीआइ की विशेष अदालत में शुक्रवार को यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में हुए 126 करोड़ के जमीन घोटाले के एक आरोपित ने जमानत अर्जी दाखिल की है। अदालत ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तारीख नियत की है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सीबीआइ की विशेष अदालत में शुक्रवार को यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में हुए 126 करोड़ के जमीन घोटाले के एक आरोपित ने जमानत अर्जी दाखिल की है। अदालत ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तारीख नियत की है।
कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपित अजीत सिंह की ओर से उसके वकीलों ने अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की है, जिस पर सुनवाई के लिए अदालत ने तारीख लगा दी है। प्राधिकरण से जुड़ा केस अब तक मेरठ कोर्ट में विचाराधीन था, लेकिन पिछले दिनों मामले की जांच की सीबीआइ को मिलने के बाद से केस सीबीआइ से जुड़ गया था, जिसके चलते हाईकोर्ट ने इस मामले को मेरठ से गाजियाबाद ट्रांसफर कर दिया है। केस ट्रांसफर होने के बाद सीबीआइ कोर्ट में केस के आरोपित एवं एसीओ सतीश कुमार और अजीत सिंह को पेश किया। बता दें कि यमुना प्राधिकरण में वर्ष 2013-14 में हुए भूमि घोटाले से जुड़े मामले की जांच गौतमबुद्ध नगर पुलिस कर रही थी, जिसमें बीटा-2 पुलिस ने तीन जून 2018 को प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ सेवानिवृत्त आइएएस अफसर पीसी गुप्ता समेत 21 आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने मुख्य आरोपित पीसी गुप्ता को 22 जून, 2018 को मध्य प्रदेश के दतिया से गिरफ्तार किया था। आरोप है कि मास्टर प्लान से बाहर जाकर प्राधिकरण क्षेत्र में जमीन खरीदी गई थी। आरोप है कि उन्होंने मुआवजा अपने रिश्तेदारों को मुनाफा देते हुए बांट दिया था। पुलिस जांच में कई अन्य अधिकारियों के नाम प्रकाश में आए थे और पुलिस ने उन सभी अधिकारियों को भी आरोपित बनाया था। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सीबीआइ ने इस मामले को टेकओवर कर लिया था, जिसके बाद मामले की जांच सीबीआइ को आ गई है। सीबीआइ ने भी इस मामले में पीसी गुप्ता समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।