मदन पांचाल, गाजियाबाद: गिरता पारा ढलती उम्र पर भारी पड़ रहा है। हिडन मोक्षस्थली की रिपोर्ट के अनुसार शहर में 28 दिन में 479 बुजुर्गों की मौत हुई है। खुले आसमान के नीचे सोने वाले अज्ञात बुजुर्गों के साथ ही पाश कालोनी राजनगर में रहने वाले कई बुजुर्ग भी इस बार की सर्दी को सहन नहीं कर पा रहे हैं। किसी की घर पर तो किसी की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हुई है। सर्दी बढ़ने से महिला और पुरुष बुजुर्गों को हृदयाघात अधिक हो रहा है। कोरोना संक्रमण की चपेट में भी बुजुर्ग ही अधिक आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार एक महीने में बीमार बुजुर्गों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। रोज 300 से 400 बुजुर्ग सांस लेने में परेशानी और खांसी आने की शिकायत पर ओपीडी में पहुंच रहे हैं। आठ बुजुर्ग संक्रमितों की अलग से मौत दर्ज की गई है।

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- जिले में कुल 4,97,324 बुजुर्ग हैं

- 4,71,863 बुजुर्गों को कोरोनारोधी टीका लग चुका है।

- 25,461 बुजुर्गों को एक भी टीका नहीं लगा है

-सतर्कता डोज लगवाने को चयनित बुजुर्गों की संख्या-68,388

-अब तक बुजुर्गों की लगी सतर्कता डोज- 32,386

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कुछ खास बुजुर्गों की मौत का विवरण

- 8 जनवरी को लालकुआं निवासी 102 वर्षीय यशोदा का हृदयाघात से हुआ निधन

- 14 जनवरी को लाजपतनगर की रहने वाली 101 वर्षीय गोमती का हृदयाघात से हुआ निधन

- 21 जनवरी को घूकना निवासी 102 वर्षीय बेगवती का सांस की बीमारी से हुआ निधन

- 25 जनवरी को शास्त्रीनगर निवासी 102 वर्षीय अनूप सिंह का हुआ निधन

- 28 जनवरी को मनोचिकित्सक आर चंद्रा की 98 वर्षीय मां सीता चंद्रा का हुआ निधन

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55 वर्ष की आयु के साथ ही फेफड़ों की क्षमता कमजोर होने लगती है। 60,65,70,75,80,85,90 और इससे अधिक उम्र के बाद सांस लेने, खाने-पीने, सोने और बैठने में परेशानी होती है। सर्दियों में बुजुर्ग खुद की बीमारी को बताने में भी असमर्थ हो जाते हैं और रात को सही सलामत सोने के बाद सुबह को हृदयाघात हो जाता है। तापमान कम होने से बुजुर्गों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ रहा है। ओपीडी में भी बुजुर्ग मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।

- डा. आरपी सिंह, वरिष्ठ फिजिशियन, जिला एमएमजी अस्पताल

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कई साल बाद सर्दी की वजह से ज्यादा बुजुर्गों की मौत हो रही है। अधिकांश बुजुर्गों की मौत घर पर सुबह के समय हो रही हैं। अब से पहले प्रतिदिन 10 और 12 बुजुर्गों का अंतिम संस्कार होता था लेकिन जनवरी में यह रिकार्ड टूट गया है। रोज 15 से 23 बुजुर्गों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं। 28 दिन में 479 बुजुर्गों के अंतिम संस्कार कराए गए हैं। इनमें अधिकांश की उम्र 65 से 99 वर्ष के बीच दर्ज कराई गई है। 10 बुजुर्गों की उम्र 100 से अधिक बताई गई है।

- आचार्य मनीष पंडित , प्रभारी, हिडन मोक्षस्थली

Edited By: Jagran