मकान तोड़े जाने से बेघर हुए 11 परिवार खुले में रहने को मजबूर
जागरण संवाददाता गाजियाबाद शांति नगर लोहिया विहार में सरकारी जमीन पर बने अवैध मकानों क
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: शांति नगर, लोहिया विहार में सरकारी जमीन पर बने अवैध मकानों को शनिवार को तोड़े जाने के कारण 11 परिवार बेघर हो गए। मकानों में रहने वाले बुजुर्ग, बच्चे, नवविवाहिता सहित अन्य लोग खुले में रहने के लिए मजबूर हैं। प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों ने कांशीराम आवासीय योजना और आसरा योजना के तहत बने फ्लैटों में रहने के लिए कहा लेकिन कोई परिवार नहीं गया। उनका कहना है कि रहने के लिए दिए जा रहे फ्लैट छोटे हैं, उनमें दो चारपाई बिछाने तक की जगह नहीं है। ऐसे में वे लोग वहां नहीं रह सकते हैं। उनकी मांग है कि कोई कम से कम उनको ऐसे फ्लैट या मकान दिए जाएं, जिसमें वे बच्चों के साथ रह सकें। परिवार के सदस्यों को अलग-अलग जगह न रहना पड़े।
रात भर खुले में सोएं: स्थानीय निवासियों ने बताया कि नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों ने शनिवार को 11 मकान तोड़े जाने के दौरान आश्वासन दिया था कि वे उनको रहने के लिए फ्लैट दिलाएंगे। लेकिन मकान तोड़ने के बाद अधिकारी चले गए, उनकी सुध नहीं ली। रात को खुले में सोए। आशियाना तोड़े जाने के बाद बेघर परिवार के सदस्य बात करते हुए रो पड़ते हैं। जगह हो अपनी तब ही जाएंगे शांति नगर, लोहिया विहार से: जिन परिवार के मकान टूटे हैं, उनका कहना है कि नगर निगम द्वारा जो फ्लैट दिए भी जा रहे हैं। वह उनके नाम नहीं किए जा रहे हैं, वहां से उनको बाद में निकाला जा सकता है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि फ्लैट के बजाय उनको ऐसा स्थान दिया जाए, जहां वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपना आशियाना बना सकें। सदन में हो चर्चा, न तोड़े जाएं सारे मकान: पार्षद मनोज चौधरी का कहना है कि सरकारी जमीन पर बने मकानों को तोड़ने से पहले एक बार सदन में चर्चा होनी चाहिए। राजनीतिक प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए जरूरी जमीन को छोड़कर जो जमीन बचे, उस पर बने मकानों को न तोड़ा जाए। ऐसे लोग से जमीन का दाम लिया जाए, उनको मकानों में रहने दिया जाए। इसके साथ ही जिन व्यक्तियों ने सरकारी जमीन को बेचा है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सरकारी जमीन बेचने वालों के खिलाफ रविवार को भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई।
उधर, स्थानीय पार्षद माया देवी का कहना है कि उनके दो मकान खाली हैं, जिनमें वह टूटे मकानों में रहने वालों को आसरा देने के लिए तैयार हैं। उनकी समस्या के निदान के लिए नगर आयुक्त और महापौर को ज्ञापन भी देंगी। जिससे की अन्य लोग के मकान न टूटे और बेघरों को आसरा मिले। परिचर्चा
मकान तोड़े जाने के बाद प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों ने रहने के लिए आसरा नहीं दिलाया है, जिस कारण खुले में रहने के लिए मजबूर हैं। हमारी मांग है कि रहने के लिए आसरा दिया जाए, जिससे की अपना गुजर बसर कर सकें।
- राजेंद्री देवी टूटे मकान के मलबे पर ही शनिवार की रात गुजारी। रात को सर्दी लग रही थी, लेकिन हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा स्थान नहीं था। परिवार में छोटे बच्चे हैं, भाई की शादी भी हाल ही में हुई है। परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हमारी मदद नहीं की जा रही है। - आशुतोष गुप्ता। बयान
जो मकान तोड़े गए हैं, उनमें रहने वाले परिवार को नगर निगम की ओर से आसरा दिया जा रहा है। लेकिन वे लोग उन फ्लैटों में रहने के लिए तैयार नहीं हैं। हम मदद के लिए तैयार हैं।
- महेंद्र सिंह तंवर, नगर आयुक्त