शीतल खा रोड पर पानी के बजाय आश्वासन की आपूर्ति
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : पालिका निगम में बदल गई। सूबे में सरकार बदल गई। मगर, नहीं मिल सका तो
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : पालिका निगम में बदल गई। सूबे में सरकार बदल गई। मगर, नहीं मिल सका तो शीतल खां रोड के लोगों को पानी। आश्वासन तो कई बार मिले, लेकिन आज तक शुद्ध पानी नहीं मिल सका। चंद मिनट के लिए सप्लाई होती भी है तो गंदगीयुक्त पानी की। ऐसे में क्षेत्र के लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।
जल जागरण अभियान के तहत मंगलवार को जागरण टीम शीतल खा रोड पर पहुंची तो हर जुबां पर पानी का दर्द दिखा। दस वर्ष से पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों ने बताया कि सुबह छह से सवा छह बजे के बीच कुछ मिनट के लिए पानी आता है जो घरों तक भी नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में लोग जिन नलों तक पानी आता है वहां के लिए दौड़ पड़ते हैं। कई बार तो लोगों के पहुंचने से पहले ही पानी की सप्लाई बंद हो जाती है। ऐसे में लोगों को पानी के लिए दूर-दराज की दौड़ लगानी पड़ती है, या फिर नगर निगम द्वारा भेजे जाने वाले पानी के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है। पीने के लिए पानी की बोतल खरीदना तो यहां के लिए मजबूरी बन गई है।
क्षेत्रीयजनों का कहना है कि मुसीबत तो तब होती है जब किसी के यहां कार्यक्रम हो। संबंधित लोगों को बाकी काम छोड़ सबसे पहले पानी का इंतजाम करना होता है। घर आने वाले रिश्तेदारों एवं मेहमानों को भी कम पानी उपयोग में लाने की सलाह देते हैं। लोगों का कहना है कि कई बार पार्षद और निगम के अफसरों को पानी की समस्या से अवगत कराया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका है। अब लोगों में रोष पनपने लगा है। उनका कहना है कि अब तो हद हो गई। जल्द ही आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
----
'वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। अभी तक निगम ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया है। इस गर्मी के मौसम में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।'
-हारुन भाई
फोटो-5
'पानी थोड़ा बहुत आता है, उसका भी प्रेसर कम होता है। पांच से दस मिनट की आपूर्ति में गंदगीयुक्त पानी से एक-दो बर्तन ही भर पाते हैं। हर रोज पानी का टेंशन रहता है।'
-अब्दुल अजीज
फोटो-6
'गलियों में बने मकानों तक पानी नहीं पहुंच पाता। निगम द्वारा भेजे जाने वाले पानी के टैंकर भी राहत नहीं पहुंचा पाते। पानी चंद मिनटों में खत्म हो जाता है।'
-मुन्नवर हुसैन
फोटो-7
'पानी नहीं आने के कारण एक-दो दिन तक नहा नहीं पाते। पैसा देकर पानी खरीदने को मजबूर हैं। अधिकारियों को व्यथा सुनाते- सुनाते थक चुके हैं।'
-अब्दुल वहीद
फोटो-8