पांच सौ में बिकता है दो रुपये का बैनामा फॉर्म
सदर तहसील में अधिकारियों की शह पर बैनामा प्रपत्र के जरिए मोटा खेल हो रहा है। दो रुपये का प्रपत्र पांच सौ रुपये में बेचा जा रहा है। इस खेल में तहसील के अधिकारी ही संलिप्त बताए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सदर तहसील में अधिकारियों की शह पर बैनामा प्रपत्र के जरिए खुलेआम लूट की जा रही है। वैसे तो ये प्रपत्र सरकारी दस्तावेज नहीं है, फिर भी दो रुपये के इस प्रपत्र को पांच सौ रुपये में बेचा जा रहा है। इस शिकायत की सच्चाई जानने के लिए 'जागरण' बुधवार को तहसील के बार हॉल में बैठे अफसरों के इस एजेंट से बातचीत की।
रिपोर्टर: प्रपत्र कितने का है ?
जवाब: पांच सौ रुपये का .।
रिपोर्टर: इसकी कोई रसीद मिलेगी.?
जवाब: नहीं, रसीद कोई नहीं मिलती।
रिपोर्टर: तो यह पैसे किसके खाते में जाते हैं .?
जवाब: रजिस्ट्रार ऑफिस के खाते में .।
रिपोर्टर: आप कौन हो .?
जवाब: हम तो यहां बैठाए गए हैं .।
रिपोर्टर: किसने .?
जवाब: उन्हीं सर ने.।
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काफी कुरेदने पर भी युवक ने अधिकारी का नाम नहीं बताया। इसकी बिक्री की रकम सरकारी खाते में जमा नहीं होती। हां, इसको सरकारी प्रपत्र का रूप देने के लिए चंद लाइनों की एक मुहर लगा दी जाती है। इसमें सीरियल नंबर भी लिख दिया जाता है। संभवत: ये नंबर उस दिन बिकने वाले प्रपत्रों की संख्या के लिए होता है।
रोजाना हजारो की कमाई
सदर तहसील में दो उप निबंधन कार्यालय हैं। हर रोज दर्जनों बैनामे होते हैं। एक बैनामे में 500 रुपये के एक प्रपत्र की अनिवार्यता के हिसाब से रोजाना हजारों रुपये वसूले जाते हैं।
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क्या है प्रपत्र
प्रपत्र पर क्रेता, विक्रेता का फोटो सहित पूरा विवरण, खरीदी व बेची जा रहे भूखंड की माप व भौगोलिक स्थिति लिखी जाती है।
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हमारे कार्यालय से इसका कोई मतलब नहीं। हम तो इतना जानते हैं कि बैनामे के समय प्रपत्र लगा होना चाहिए। कितने का बिकता है, इससे हमें मतलब नहीं।
पीपी चौरसिया, उप निबंधक तहसील फीरोजाबाद
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