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दो-दो घूंट दूध से बहला रहे बच्चों को

मिडडे मील में दूध जैसे पौष्टिक आहार के नाम पर स्कूली बच्चो की सेहत से मजाक हो रहा है। डेढ़ सौ से दो सौ मिली ग्राम दूध मिलना चाहिए, लेकिन बहुत कम दे रहे हैं। दूध के नाम पर मोटा खेल हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 11:34 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 11:34 PM (IST)
दो-दो घूंट दूध से बहला रहे बच्चों को
दो-दो घूंट दूध से बहला रहे बच्चों को

जेएनएन, फीरोजाबाद: मिडडे मील में दूध जैसे पौष्टिक आहार के नाम पर स्कूली बच्चो की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मिडडे मील में 150 ग्राम के बजाय दो-दो घूंट ही दूध दिया जा रहा है। किसी-किसी स्कूल में तो दूध से ज्यादा उसमें पानी मिलाकर बांटा जा रहा है।

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बुधवार को नारखी क्षेत्र के प्राथमिक बड़ा गांव में 76 में 55 बच्चे उपस्थित थे। रसोइया ने बताया कि डेढ़ लीटर दूध लाए हैं। मास्साब ने साढ़े चार लीटर बताया। लेकिन रसोइये की बात सुन कहने लगे- छोड़िए साहब, कहां से पिलाएं, महीनों से रुपये नहीं मिले। इसी तरह, शिकोहाबाद के गढै़या प्रथम प्राथमिक कन्या स्कूल में 90 में 65 विद्यार्थी थे। इनमें साढ़े तीन लीटर दूध बांट दिया गया। यानि, एक बच्चे को 50 ग्राम दूध भी नहीं मिला। गढ़ैया नंबर दो स्कूल में 50 बच्चों के लिए तीन लीटर दूध ही आया। शिक्षिका शालिनी कहती हैं कि विभाग ने महीनों से भुगतान नहीं किया। दूध वितरण के नाम पर यही ढोंग नारखी के ही नगला स्कूल, जारखी, गढ़ी हंसराम में किया जा रहा था।

निरीक्षण में कम और एमडीएम में भरपूर हाजिरी: पिछले दिनों कराए गए निरीक्षण की रिपोर्ट के तहत, स्कूलों में औसतन 15 से 20 फीसद बच्चे ही उपस्थित मिले। जबकि एमडीएम की ऑनलाइन रिपोर्टिंग में यही आंकड़ा 70 से 80 फीसद दर्शाया गया।

एमडीएम रजिस्टर पर दूसरे दिन एंट्री : एमडीएम के रजिस्टर पर सुबह छात्रों की संख्या दर्ज नहीं की जाती। जबकि सरकार 80 फीसद छात्रों को खाने की राशि देती है।

दूध वितरण एवं फल वितरण में हेराफेरी की जांच करेंगे। अभी कन्वर्जन कास्ट को लेकर दिक्कत है, जिसे दूर कराने के प्रयास कर रहे हैं। -अर¨वद कुमार पाठक, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी


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