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भूखे पेट की रजा यही कि रोजा रख लें

मुस्लिम बस्तियों में चूड़ी श्रमिकों के परिवार में भूखे रहने के हालात बच्चों के लिए तो जैसे-तैसे जुटा लेंगे रोटी जकात की भी उम्मीदें

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 11:53 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 06:26 AM (IST)
भूखे पेट की रजा यही कि रोजा रख लें
भूखे पेट की रजा यही कि रोजा रख लें

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। रमजान का पाक महीना शुरू होने वाला है। 21 दिनों से चल रही हड़ताल के कारण मुस्लिम बस्तियों में चूड़ी श्रमिकों के यहां 'सेहरी' और 'इफ्तार' के भी लाले पड़ने की नौबत है। श्रमिकों ने ऐसे में तय किया है कि जब भूखे ही रहना है तो रोजा ही रख लिया जाए। अल्लाह की इबादत भी हो जाएगी। और हां, बच्चों के लिए जैसे-तैसे रोटी का इंतजाम कर ली लेंगे।

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मुस्लिम समाज के लिए रमजान का महीना खास अहमियत रखता है। पूरे माह लोग रोजा रखते हैं। सुबह सेहरी(खाना)करने के बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाते। पूरा वक्त नमाज और कुरान पढ़ने में गुजारते हैं। गलतियों से तोबा करते हैं, नेक काम कर बरकत की दुआ करते हैं। सूरज ढलने के बाद अल्लाह की इबादत कर इफ्तार (खाना) कर उस रोज का रोजा पूरा करते हैं। अंतिम रोजा के बाद ईद की खुशियां मनाते हैं।

शहर की हजीपुरा, तीसफुटा, असरफगंज, रसूलपुर जैसी मुस्लिम बस्तियों में इस बार हालात माकूल नहीं हैं। 21 दिनों से चल रही हड़ताल ने चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों के घरों में मायूसी छाई हुई है। जमापूंजी खत्म हो चुकी है, अब तो पेट भरने के भी लाले पड़ने लगे हैं। रविवार को इन बस्तियों में 'जागरण' ने श्रमिकों के हाल जाने। कमरुददीन, वसीम खान, आरिफ, शाहिद, जुबैर आदि ने बताया कि पिछले वर्ष तो हम लोग कारखाने में काम करने जाते थे, इसलिए रोजा नहीं रखते थे। इस बार हालात दूसरे हैं। जब भूखे ही रहना है तो रोजा ही रख लेंगे। अल्लाह की इबादत भी कर लेंगे। अल्लाह खुश तो होगा। बताया कि श्रमिकों का कहना था कि रोजी रोटी के लिए पूरा परिवार जुटता है, तब कहीं जाकर सुबह-शाम को खाना पक पाता था। 21 दिन से चल रही हड़ताल के कारण अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

विदित हो कि कांच एवं चूड़ी उद्योग मजदूर संघ के आह्वान पर 15 अप्रैल से चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों की मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर कामबंद हड़ताल है। जिसके कारण शहर करीब एक सैकड़ा कारखानों में चूड़ी का उत्पादन पूरी तरह से ठप है।

सिटी मजिस्ट्रेट अजय कुमार तिवारी के अनुसार हड़ताल पर प्रशासन की नजर है। इस संबंध में सहायक श्रमायुक्त से बात कर बीच का रास्ता निकालने को कहा गया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि 10 मई से पहले ही समस्या को हल कराने की कोशिश करेंगे।

हड़ताल से 55 करोड़ का नुकसान

मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर चूड़ी जुड़ाई श्रमिक हड़ताल कर रहे हैं। शासन ने 50 रूपये की बढ़ोतरी करते हुए 2050 रुपये मजदूरी कर दी है। इससे श्रमिक असंतुष्ट हैं। हालांकि उपश्रमायुक्त ने दो बार समझौता वार्ता कराई, लेकिन बात नहीं बन सकी। श्रमिक भले ही काम पर न आ रहे हों, लेकिन कारखाने में हर रोज लाखों रुपये की गैस फुंक रही है। द ग्लास ऑफ सिडीकेट डायरेक्टर हनुमान प्रसाद गर्ग की मानें तो 21 दिन की हड़ताल में सेवायोजकों को करीब 55 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

आज पैदल मार्च डीएम को ज्ञापन देंगे श्रमिक

कांच एवं चूड़ी उद्योग मजदूर संघ मंत्री रामदास मानव ने बताया कि 13 सूत्रीय मांगों को लेकर चूड़ी जुड़ाई श्रमिक सोमवार सुबह आठ बजे श्रमिक गांधी पार्क में एकत्रित होंगे। यहां से सदर बाजार होते हुए, जिला मुख्यालय पर पहुंचेंगे और वहां डीएम को ज्ञापन देंगे।


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