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जिन्होंने बदल दी शिक्षा की तस्वीर

हमेशा सवालों के घेरे में रहने वाले सरकारी शिक्षकों का शिक्षक दिवस पर सम्मान किया गया। बच्चों ने उन्हें उपहार भी दिए। अधिकांश स्कूलों में क ार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 12:27 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 12:27 AM (IST)
जिन्होंने बदल दी शिक्षा की तस्वीर
जिन्होंने बदल दी शिक्षा की तस्वीर

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: हमेशा सवालों के घेरे में रहने वाले सरकारी शिक्षकों में कुछ ने तस्वीर बदल डाली। संसाधन उनके लिए भी वही थे। बजट भी वही था, बस अंतर था तो सिर्फ इतना कि इनमें जुनून था बच्चों का भविष्य संवारने का। चाहते तो यह भी पांच घंटे की नौकरी कर पगार पाते रहते, लेकिन इन्हें कुछ करना था। सो, माहौल बदलता गया। इनकी मेहनत देख ग्रामीण आगे बढ़े। चंदे से रास्ते बने और कक्ष खड़े हो गए। जहां कभी दो-ढाई दर्जन बच्चे मुश्किल से आते थे वहां छात्र संख्या 100 से ऊपर पहुंच गई। इनके लिए यही सम्मान है और इन पर बच्चों के माता-पिता को भरोसा है।

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जगमुदी: डायरी और आइकार्ड, लगती है नर्सरी क्लास :

आइए चलते हैं प्राथमिक स्कूल जगमुदी में। 2011 में प्रधानाध्यापिका नीतू ¨सह आर्इं तो स्कूल में 27 बच्चे थे। स्कूल तक जाने के लिए रास्ता नहीं था। न बाउंड्री थी न ही व्यवस्थाएं। नीतू ने बीड़ा उठाया। शिकायतें कीं तो धीरे-धीरे रास्ता बन तैयार हुआ। दीवारों को रंगने के लिए धन नहीं था तो फ्लैक्स से स्कूल की तस्वीर बदल दी। ग्रामीणों ने सहयोग कर दो कमरे बना दिए। यहां पर आज 130 बच्चे हैं। बच्चे अंग्रेजी माध्यम की तरह डायरी रखते हैं तो आइकार्ड भी है। नर्सरी क्लास के लिए प्रधान संगीता ¨सह ने अपने स्तर से प्राइवेट शिक्षिका की व्यवस्था की है।

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कीठौत: हर महीने टेस्ट, पीटी की अलग है ड्रेस :

प्राथमिक स्कूल कीठौत। 2011 में मो. शाहिद प्रधानाध्यापक बने तो 28 बच्चे थे। उन्होंने अपने वेतन से प्रोजेक्टर खरीद बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उनका जज्बा देख गांव के अनुज कुमार, देवेंद्र कुमार एवं गोपाल ¨सह आगे बढ़े। वॉल पें¨टग से स्कूल को आकर्षक लुक दिया तो स्कूल में अलग-अलग ऊंचाई के वॉशवेसिन भी बने, ताकि हर बच्चा हाथ धो सके। अब स्कूल में 114 छात्र पढ़ते हैं। मासिक टेस्ट होते हैं तो हर कक्षा के दो अव्वल छात्रों को शिक्षक अपने खर्च पर टूर पर ले जाते हैं। बीते वर्ष आगरा एवं लालकिला गए थे तो इस बार भरतपुर एवं फतेहपुर सीकरी ले जाएंगे।

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जाजपुर. यहां एसी में पढ़ते हैं बच्चे :

टूंडला के प्राथमिक स्कूल जाजपुर में पहुंचने पर आपको विश्वास नहीं होगा कि आप सरकारी स्कूल में हैं। रंग-बिरंगी मेज कुर्सी पर बैठकर पढ़ते हुए बच्चे। शिक्षण कक्षों में एसी की व्यवस्था। हर कक्ष में सीसीटीवी कैमरे। प्रधानाध्यापक चंद्रकांत शर्मा के प्रयासों से स्कूल आदर्श स्कूल में बदल रहा है। स्पोर्टस ड्रेस में बच्चे फुटबॉल एवं क्रिकेट खेलते हैं तो छोटे बच्चों के लिए स्कूल में साइकिल के साथ में अन्य खिलौने हैं। छात्र संख्या पिछले दो वर्ष में बढ़कर तीन गुनी हो गई है।

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सलेमपुर: युवाओं ने संभाली कमान, यहां बच्चे सीखते कंप्यूटर :

प्राथमिक स्कूल सलेमपुर जसराना। यहां बच्चों के लिए कंप्यूटर रूम है तो बेंच के साथ में पंखे भी। इन्वर्टर होने के कारण बिजली के जाने पर भी बच्चे गर्मी में नहीं बैठते। सब संभव हुआ गांव के युवाओं के प्रयासों से। शिक्षक रामनिवास यादव, गिरीश कुमार, देव कुमार एवं योगेंद्र ¨सह ने बच्चों को पढ़ाने के साथ 'गांव सुधारें' पहल की शुरूआत की तो प्राइवेट नौकरी करने वाले मनोज के साथ गांव के युवा जुड़े। इनके सहयोग से छह कंप्यूटर के साथ में अन्य व्यवस्थाएं स्कूल में की।

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डीएम भी दिखती हैं शिक्षक की भूमिका में :

जिले में प्राथमिक शिक्षा में सुधार में डीएम नेहा शर्मा का भी विशेष योगदान रहा। मक्खनपुर के दखिनारा स्कूल को गोद लेकर इसे आदर्श स्कूल बनाया। इसके अलावा स्कूलों में सुधार की पहल की। अधिकारियों और उद्यमियों को स्कूल गोद दिए। इसके अलावा डीएम ने समय-समय पर स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाया।

जागरण भी बदल रहा है स्कूल की तस्वीर: अभियान के तहत दैनिक जागरण ने नगला गोला में स्कूल गोद लिया है। यहां की तस्वीर भी बदल रही है।


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