विधिक साक्षरता से हिमांजलि बना रहीं महिलाओं को सशक्त
जागरण संवाददाता, एटा: बेहतर शिक्षा पाना और फिर जॉब पाकर अपने लिए ही जीना अधिकांश लोगो
जागरण संवाददाता, एटा: बेहतर शिक्षा पाना और फिर जॉब पाकर अपने लिए ही जीना अधिकांश लोगों की जीवन गाथा है। इससे इतर जलेसर की हिमांजलि गौतम सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता का कार्य करते हुए समाज के लिए भी पिछले कई सालों से काम कर रही हैं। छात्राओं और महिलाओं को जहां वह विधिक साक्षरता के जरिए उनके अधिकारों के प्रति सचेत कर रही हैं। वहीं उनकी मंशा अपने पेशे से हटकर गरीब और शोषितों के लिए भी उनके अधिकारों को लेकर जंग लड़ना है।
कस्बा जलेसर निवासी व्यवसायी शीलेषचंद्र गौतम की छोटी पुत्री हिमांजलि की स्नातक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई। जहां बीए ऑनर्स व राजनीतिक शास्त्र से स्नातक के बाद 2012 में एलएलबी व 2015 में एलएलएम किया। सुप्रीम कोर्ट में 2012 से ही प्रेक्टिस शुरू कर दी। उस समय ही दौलतराम कॉलेज दिल्ली में एक सेमीनार के दौरान वहां की छात्राओं ने सवाल किया कि गरीब पात्रों को योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिलता और कैसे दिलाया जा सकता है। उन्होंने जवाब तो दे दिया, लेकिन तभी से ठान लिया कि क्यों न विधिक साक्षरता के प्रयास निचले स्तर पर किए जाएं। जब लोग खुद जागरूक होंगे तो योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। तभी से विधिक साक्षरता के लिए काम शुरू किया। शुरूआत में लोगों ने उनका परिहास कर निराश करने का काम किया, लेकिन उनके कदम समाजहित में रुकने के बजाय तेज होते गए। कॉलेजों में छात्राओं और ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित महिलाओं को उनके अधिकार बताते हुए हक के लिए आगे आने का जज्बा भर रही हैं।
वहीं गरीब, शोषित लोगों को न्याय दिलाने के लिए भी अपने स्तर से लड़ रही हैं। महिला सशक्तीकरण के साथ उनका प्रयास ऐसे लोगों को न्याय दिलवाना भी है, जोकि धन और जागरूकता के अभाव में उत्पीड़न, शोषण का दंश झेल रहे हैं। अब तो उन्हें विभिन्न जिलों में इसीलिए बुलाया जाता है। वह कहती हैं कि काबलियत तभी सफल है, जब उसके द्वारा समाज के हित में भी कार्य किया जाए।