पहली बार ईदगाह में नहीं हुई नमाज
पहली बार ईदगाह में नहीं हुई नमाज ईद की नमाज ईदगाह में ही पढ़ी जाती है लेकिन सोमवार को पहली बार ऐसा हुआ जब इसमें नमाज नहीं हुई। ईदगाह कमेटी के सचिव इसरार अहमद खां भी ईदगाह नहीं गए। उन्होंने सुबह पौने नौ बजे अपने घर में परिवार में के लोगों के साथ नमाज पढ़ी। इमाम साबित अली ने नमाज पढ़ाई। इसरार खां ने बताया वह करीब 45 साल से ईदगाह कमेटी के सचिव हैं उनके जीवन में ऐसा मौका कभी नहीं आया जब ईदगाह में ईद की नमाज न हुई हो लेकिन महामारी से बचने के लिए इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था। -------
पहली बार ऐसा हुआ जब ईदगाह में ईद की नमाज नहीं हुई। हम खुद ईदगाह नहीं गए। सुबह पौने नौ बजे अपने घर में परिवार के लोगों के साथ नमाज पढ़ी। 45 साल से ईदगाह की व्यवस्थाएं देख रहे हैं। जीवन में ऐसा मौका कभी नहीं आया जब ईदगाह में ईद की नमाज न हुई हो, लेकिन महामारी से बचने का और कोई रास्ता भी नहीं था।
-इसरार अहमद खां, सचिव ईदगाह कमेटी
हम दस साल से ईदगाह में ईद की नमाज पढ़ा रहे हैं। 70 साल के जीवन में पहले कभी न ऐसा देखा न सुना। पहली बार ईदगाह में नमाज नहीं हुई। ये कुदरत का निजाम है। पूरी दुनिया में कोरोना की दहशत है। जसराना में कोरोना का एक भी मरीज नहीं है। इसके लिए अल्लाह का शुक्रिया। शासन, प्रशासन के इंतजाम भी चुस्त दुरुस्त हैं।
-हाजी मसीयत इलाही, इमाम बैलमपुरी मस्जिद जसराना ------
हमने खुद लोगों से शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घरों में ही नमाज पढ़ने और ईद मनाने की अपील की थी, जिसे लोगों ने माना भी। हमने अपने करीबियों को सिवईयां उनके घर भिजवाईं। वीडियो कॉल करके अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को ईद की मुबारकबाद दी। यही एक तरीका था ईद मनाने का।
अशफाक अहमद सिद्दीकी, अध्यक्ष ईदगाह कमेटी सिरसागंज -----
कोरोना की वजह से हुकूमत और प्रशासन ने पाबंदियां लगाई थीं। इसका पालन करते हुए मस्जिद भूरे खां में ईद की नमाज नहीं पढ़ाई गई। लोगों ने अपने घरों में चार चार रकात शुकराने की नमाज अदा की और मोबाइल के जरिए लोगों को मुबारकबाद दी। जहां पहले हजारों लोग ईद की नमाज पढ़ते थे। वहां इस बार मैंने अकेले नमाज अदा की।
-मौलाना हबीब अशरफ शिकोहाबाद