अब आंबेडकर विवि के पाले में पहुंची बर्खास्त शिक्षकों के भविष्य की गेंद
अब आंबेडकर विवि के पाले में पहुंची बर्खास्त शिक्षकों के भविष्य की गेंद
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: फर्जी मार्कशीट के आधार पर बर्खास्त किए गए बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों पर फैसले वहीं विवि करेगा, जिसकी फर्जी मार्कशीट के सहारे नौकरी हासिल की थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद बर्खास्तगी की कगार पर पहुंचे 77 शिक्षक फिलहाल राहत में आ गए हैं तो वहीं बर्खास्त किए गए 84 शिक्षक नई सेटिग लगाने लगे हैं। बीएसए ने विवि प्रशासन को इस संबंध में पत्र भेजा है।
तीन साल पूर्व प्रदेश में बड़े पैमाने पर फर्जी बीएड की डिग्री के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पाने का खेल उजागर हुआ था। शासन द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि आगरा के फर्जी अंकपत्रों के सहारे 4800 शिक्षक प्रकाश में आए। एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर इन पर कार्रवाई शुरू हुई। फीरेाजाबाद में फर्जी पाए गए 163 में से जांच के दौरान दो की मौत हो चुकी थी, जबकि 84 बर्खास्त कर दिए गए। शेष पर कार्रवाई जारी थी। अलग-अलग महीनों में बर्खास्त किए गए शिक्षक हाईकोर्ट पहुंचे और स्टे के आधार पर 51 की बहाली भी हो गई। इनमें से 20 शिक्षकों का वेतन भी जारी होने लगा। इसके बाद 77 शिक्षकों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई होना थी। इसी बीच हाईकोर्ट से फैसला आ गया।
बीएसए अरविद पाठक ने बताया कि एसआइटी की सूची में शामिल सभी 161 का वेतन रोक दिया गया है। हाईकोर्ट का यह भी कहना है कि अब विवि मार्कशीट को प्रमाणित सही गलत की रिपोर्ट दे। इसके आधार पर ही बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी। बीएसए ने बताया कि इस संबंध में पत्र विवि को भेज दिया गया है। एसआइटी के रिकार्ड के आधार पर की गई थी कार्रवाई
फर्जी पाए गए शिक्षकों पर कार्रवाई का आधार एसआइटी द्वारा विवि के गोपनीय विभाग से जब्त किए गए परीक्षा के चार्ट थे। चार्ट में दर्ज अंक और अंकतालिकाओं का मिलान किया गया था, जिस आधार पर मार्कशीट फर्जी साबित हो गई है। हालांकि विवि ने किसी भी मार्कशीट पर अपनी रिपोर्ट नहीं लगाई थी। अब कोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से कार्रवाई शुरू होगी। न रिकवरी हुई न दर्ज कराए जा सके मुकदमे बर्खास्त किए गए सभी शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर और वेतन रिकवरी के आदेश बीएसए ने संबंधित एबीएसए को दिए थे, मगर उन्होंने मुकदमे दर्ज ही नहीं करवाए। शिक्षक पहले कार्रवाई से डरे रहे और फिर हाईकोर्ट जाकर स्टे ले आए।