नाप लिया न सिलवाई, रेडीमेड यूनिफॉर्म बांटी
अफसरों की सोच अच्छी थी। स्कूली यूनिफॉर्म के जरिए गरीब महिलाओं को रोजगार मिले, लेकिन यहां ठेकेदारों ने बिना नाप लिए इनका वितरण करा दिया। कोई पेंट मोड़ कर स्कूल पहुंच रहा है तो कोई शर्ट के कफ।
जिज्ञासु वशिष्ठ, फीरोजाबाद : अफसरों की सोच अच्छी थी। स्कूली यूनिफॉर्म के जरिए गरीब महिलाओं को रोजगार देने और बच्चों को फिट आने वाली ड्रेस पहनाने की। ठेकेदारों का कॉकस हावी रहा। कुछ ने समूहों से सौदा किया, कुछ ने शिक्षाधिकारियों से गठजोड़ कर नए समूह जुड़वा लिए। इसके बाद बच्चों को रेडीमेड यूनिफॉर्म बांट दी गई। केस एक
प्राथमिक स्कूल नगला चूरा में कक्षा पांच के छात्र अर¨वद सहित एक दर्जन छात्रों की पैंट एक-एक फुट तक लंबी थीं। पैंट की बेल्ट भी ढीली थी। विपिन, आशीष व जूनियर हाईस्कूल की आरती की शर्ट की बाजू हथेली से नीचे थी। बच्चे बोले नाप नहीं लिया। शिक्षकों के आंख दिखाने पर चुप हो गए। केस दो
प्रावि सोफीपुर में किरन, नंदनी सहित आधे से ज्यादा बच्चों की शर्ट की बाजू पोल खोल रही थी। कागजों में स्वयं सहायता समूह धारा ने सिलाई की है। हकीकत में एक ठेकेदार ने सप्लाई दी है। इसके पीछे ब्लॉक के एक चर्चित शिक्षक का भी नाम आ रहा है। केस तीन
नारखी के जामपुर रामनगर में कक्षा तीन के कन्हैया एवं रामपुर स्कूल की कक्षा तीन की अंजली बताती हैं कि किसी ने भी उनकी यूनिफॉर्म का नाप नहीं लिया। इनके जवाब की है तलाश
- स्वयं सहायता समूहों ने यूनिफॉर्म सिली है तो लोगो क्यों नहीं लगा।
- हर यूनिफॉर्म पर रेडीमेड कपड़ों की तरह नंबर पड़े हैं।
- नाप लिया था तो फिर बाजू एवं पैंट की लंबाई कैसे ज्यादा हो गई।
आंकड़े एक नजर में
1,76,801 छात्रों को यूनिफॉर्म वितरण होना है
149,496 रुपये स्कूलों में अब तक पहुंचे
75 हजार से ज्यादा छात्रों की सहायता समूह से यूनिफॉर्म सिलवाई।
200 रुपये एक यूनिफॉर्म के लिए शासन से भेजे गए हैं
02 यूनिफार्म हर छात्र को देने का है नियम
'हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। अगर ऐसी स्थिति है तो हम जांच कराएंगे तथा शासन की मंशा के अनुरूप यूनिफॉर्म न बांटने वालों पर कार्रवाई करेंगे।'
-विनोद पांडे
प्रभारी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी