कोरोना योद्धा: घर से दफ्तर तक लड़ी कोरोना से जंग
अस्पताल में दिन भर काम के बाद घर में चार कोविड रोगियों की देखभाल अधिकारी पत्नी और मां की भूमिका में खरी उतरीं डा. अनेजा।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: घर से दफ्तर तक बस कोरोना मरीज। दिन भर दीगर मरीजों की देखभाल। रात में होम आइसोलेट चार स्वजन का ख्याल। स्वशासी राजकीय मेडिकल कालेज की प्रिसिपल डा. संगीता अनेजा के लिए यह काम साहस के बिना संभव नहीं था। संयम को संबल बनाकर उन्होंने अधिकारी, पत्नी और मां की भूमिका को बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने कोरोना से दोनों तरफ मोर्चा लिया।
बीते साल अगस्त माह की बात है। कोविड अस्पताल में 175 से अधिक बेड संक्रमितों से भरे थे। इन सभी के बेहतर इलाज और अस्पताल में संसाधनों की उपलब्धता की जिम्मेदारी डा. अनेजा के कंधों पर थी। उनके पति एसएन मेडिकल कालेज आगरा के पूर्व प्राचार्य डा. जीके अनेजा कोरोना की चपेट में थे। दिल्ली के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। इस बीच उनके पुत्र- पुत्री और ननदोई भी संक्रमित हो गए। ये सभी फीरोजाबाद में होम आइसोलेशन में थे। डा. अनेजा के सामने रोगियों के इलाज और स्वजन की देखभाल करने की दोहरी चुनौती थी। वे कहती हैं कि सब संभालना इतना आसान नहीं था। होम आइसोलेशन में स्वजन की देखभाल के बाद वह कोविड अस्पताल और मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंच जाती थीं। कभी विभागीय अधिकारियों के साथ मीटिग करतीं तो कभी वीडियो कांफ्रेंस में शामिल होतीं। देर रात तक कोविड अस्पताल में व्यवस्थाओं का जायजा लेती रहती थीं। उनकी मेहनत का फल मिला। कोविड हास्पिटल में भर्ती रोगी भी ठीक हुए और स्वजन भी स्वस्थ हो गए। - नारी कमजोर नहीं होती-
डा. संगीता अनेजा कहती हैं कि नारी शक्ति स्वरूपा होती है। वह जिस काम को ठान ले, पूरी करके ही दम लेती है। इसलिए समाज को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। घर में गृहणी 24 में से 14 घंटे काम ही करती है।
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