स्कूलों में अग्निशमन यंत्रों पर न करना भरोसा
सरकारी स्कूलों में अग्निशमन यंत्र तो लगे हैं, लेकिन वे एक्सपासयर्ड हो चुके हैं। इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है। इस तरह का मामला सामने आने पर विभागीय अधिकारी जांच में जुट गए हैं।
केस वन : टूंडला का प्राथमिक स्कूल नगला हरिश्चंद्र। दीवार पर अग्निशमन यंत्र तो टंगे हैं। मगर, ये 2011 में ही एक्सपायर हो चुके हैं। आग बुझाते में इनका इस्तेमाल किया गया तो यह खुद फुस्स हो जाएंगे।
केस टू : नारखी का प्राथमिक स्कूल कनवार। कागजों में दिखाने के लिए अग्निशमन यंत्र हैं, लेकिन हकीकत में 2015 में एक्सपायर हो चुके हैं। हादसा होने पर ये इंतजाम भी दिखावा साबित होगा।
जेएनएन, फीरोजाबाद : स्कूलों में अग्नि सुरक्षा इंतजामों का यह हाल तब है, जब शिकोहाबाद और नारखी के स्कूलों में बीते दिनों आग से हादसे हो चुके हैं। 'जागरण' को प्राथमिक स्कूल उसायनी में भी यही स्थिति मिली। यहां मात्र एक यंत्र है, वो भी 2010 में एक्सपायर हो चुका है। प्रधानाध्यापक ममता दूसरे सिलिंडर के संबंध में नहीं बता पाई। प्राथमिक स्कूल रिजावली में दो सिलिंडर हैं, जो अप्रैल 2018 में एक्सपायर हो चुके हैं। प्रधानाध्यापक राजेंद्र ने दिखाने के लिए जैसे ही सिलिंडर उठाया तो एक सिलिंडर का पाइप निकल कर गिर गया।
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रीफि¨लग में भी हुआ खेल :
चिलासनी स्कूल में 'जागरण' को पता चला कि 23 अगस्त को ही रीफि¨लग कराई है, लेकिन ये वजन में बहुत हल्का था। यही स्थिति प्राथमिक स्कूल शिकोहाबाद नंबर चार पर मिली। 12-12 सौ रुपये में औरेया की एक कंपनी ने रीफि¨लग के नाम पर सिर्फ स्लिप लगा कर सिलिंडर पकड़ा दिए।
'स्कूलों में आग से सुरक्षा के लिए लगवाए गए अग्निशमन यंत्रों की रीफि¨लग जरूरी है। हमने ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया है उस वक्त विभाग से इस संबंध में वार्ता हुई थी। हम इसकी जांच कराएंगे।'
-जसवीर ¨सह
मुख्य अग्निशमन अधिकारी
फीरोजाबाद