नूतन सरकार, गुजर गया साल, सुधार के बजाय और बिगड़े हालात
फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। आज के ही दिन गांधी पार्क मैदान में भगवा पंडाल के भाजपा की मेयर नूतन राठौर ने शपथ ली। पहले तड़के से लेकर देर शाम तक दौरे किए। विकास के ख्वाब दिखाए, मगर एक साल में कुछ भी हालात नहीं बदले।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: आज (11 दिसंबर) के ही दिन गांधी पार्क मैदान में भगवा पंडाल के बीच नूतन सरकार ने जनता को सपने दिखाए थे। सुहाग नगरी में नगर निगम के पहले चुनाव के बाद मेयर और पार्षदों ने शपथ ली। शहर को गंदगी और समस्याओं से मुक्त बनाना था, मगर सियासत में सब कुछ उलझ गया। शपथ लेने के बाद मेयर ने तड़के से लेकर शाम तक दनादन दौरे किए। लापरवाह सफाई कर्मियों को खरी-खोटी सुनाईं और बजट के लिए लखनऊ की दौड़ लगाई। मगर, धीरे-धीरे सियासत हावी होने लगी। सत्ता और विरोधी दोनों दलों के पार्षद घमासान में जुटे रहे। गर्मी में जनता पानी के लिए तरस गई। बोर्ड की बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ती रहीं। निगम को लेकर अंदर और बाहर भी राजनीति चलती रही। आलम यह हुआ कि जनता आती, मगर शिकायत सुनने वाला कोई नहीं मिलता। आपसी कलह के चलते अफसर टिक ही नहीं पाए। कोई तबादला करवाकर भाग गया तो कोई छुट्टी पर चला गया। अफसरों की सीटें खाली होने से धूल जम गई है। एक साल में नवंबर के बाद हालात कुछ ज्यादा ही बिगड़ गए। बकाए के चलते डीजल मिलना बंद हो गया और कूड़ा वाहन गैराज में खड़े हो गए हैं। आलम यह है कि शहर कूड़ा-कूड़ा है। अफसर आने को तैयार नहीं हैं और कर्मचारी मौज में हैं। सरकार के एक साल पर पेश है जागरण की रिपोर्ट.. ट्रं¨चग ग्राउंड पर नहीं बढ़ सका एक भी कदम:
शहर के लिए कूड़ा सबसे बड़ी समस्या बना रहा। पहले पालिका की सीमा के बाहर फेंका जाता था, अब वह क्षेत्र निगम में आ गए। हालात यह हैं कि इस कूड़े और पॉलीथिन के कारण खेत बंजर हो चुके हैं। ट्रं¨चग ग्राउंड के लिए कोई काम नहीं हो पाया। स्वच्छता के सर्वेक्षण में पिछड़ा, रंगी गई दीवारें:
स्वच्छता के सर्वेक्षण में नगर पंचायत से भी नगर निगम पिछड़ गया। इसके बाद स्वच्छता दीवारों पर तो चमकने लगी, मगर कूड़ा नहीं उठ पाया। वर्तमान में स्थिति यह है कि पिछले आठ दिनों से कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां नहीं निकल पा रही हैं। पार्कों के काम अधूरे, मौत के बाद भी खुले पड़े मैनहोल:
अमृत योजना के तहत पार्क के सौंदर्यीकरण के काम हुए, मगर भाजपा ने नेता ही ठेकेदार बन गए। आलम यह है कि मैनहोल खुले होने के कारण एक बच्ची की मौत हो गई थी, उसके बाद भी नहीं ढके गए। पार्कों के काम अब भी अधूरे पड़े हैं।
न लगी पॉलीथिन पर लगाम और न थर्माकोल पर लगा बैन:
सरकार ने पॉलीथिन और थर्माकोल पर रोक लगा दी, मगर निगम कोई शिकंजा नहीं कस सका। आज भी पूरे शहर में खुलेआम पॉलीथिन बिक रहीं हैं। शादी समारोह में खुलकर प्लास्टिक और थर्माकोल चल रहा है। निगम की टीमें 50 किलो पॉलीथिन ही जब्त ही कर पाईं।
सफेद रोशनी में चमका शहर, आ गया गंगाजल.. एक साल में सिर्फ एलईडी लाइटें और शहर की जनता को गंगाजल मिलना उपलब्धि रही। निगम बनने के बाद स्ट्रीट लाइटें बदलीं गई और शहर दूधिया रोशनी में नहाया। गंगाजल की योजना पुरानी थी, लेकिन इसे उपलब्धि माना गया और इसको लेकर भाजपा में राजनीति भी हुई। गंगाजल के प्रेशर से पाइप लाइनें फटीं। कई बस्तियों के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही हैं।