बेटियों को शिक्षा दिलाने को पहले खुद हुईं शिक्षित
पांच साल पहले बड़ी बेटी से सीखा पढ़ना- लिखना इसके बाद शुरू की मुहिम 150 से अधिक बेटियों का अंग्रेजी माध्यम स्कूल में करा चुकी हैं दाखिला।
फीरोजाबाद, जासं: वह खुद अशिक्षित थीं। उन्होंने पांच साल पहले शिक्षित होने का महत्व समझा। स्वयं हस्ताक्षर करना सीखा और गरीब, असहायों की बेटियों को शिक्षा दिलाने का संकल्प लिया। अब तक वे आस-पास के गरीब, असहायों की 150 से अधिक बेटियों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में दाखिला दिलाकर शिक्षा दिलाने के सपने को साकार कर रही है। इनका मानव सेवा विश्व कल्याण समिति खर्च उठाती है।
हम बात कर रहे हैं नई आबादी रहना गंगानगर निवासी 42 वर्षीय सरला की। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी। जबकि पति जगदीश कारखाने में मजदूरी करते हैं। वह पिछले 13 साल से मानव सेवा विश्व कल्याण समिति से जुडी हैं। अशिक्षित होने के कारण उन्हें कार्यक्रम के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ता। तब समिति से जुड़ी अन्य महिलाओं ने उन्हें शिक्षित होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बड़ी बेटी रूबी की सहायता से पढ़ना-लिखना सीखा।
उसके बाद उन्होंने ऐसी बेटियों को शिक्षा दिलाने का संकल्प लिया, जिनके अभिभावक उन्हें पढ़ाने में असमर्थ थे। उन्होंने समिति के उच्च पदाधिकारियों को अपनी मंशा से अवगत कराया। उनकी सहमति मिलने के बाद उन्होंने सबसे पहले आस-पास की महिलाओं और पुरुषों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उनकी बेटियों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में दाखिला दिलाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। इन सभी का खर्चा समिति द्वारा उठाया जाता है।