नजीर बनी 'तूलिका', गरीबों को दिला रहीं सुलभ न्याय
समाज सेवा का जज्बा हो तो शुरुआत कहीं से हो सकती है। विधि स्नातक तूलिका अग्रवाल नजीर बनी हैं। वह गरीब लोगों की लड़ाई कर न्याय दिला रही हैं।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: समाज सेवा का जज्बा हो तो शुरुआत कहीं से हो सकती है। विधि स्नातक तूलिका अग्रवाल ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। उन्होंने घरेलू ¨हसा और दहेज उत्पीड़न आदि के मामलों में पीड़ित महिलाओं की कानूनी मदद से सुलभ न्याय की तस्वीर को और निखार दिया है। उनकी इस समाजसेवा का दायरा कोर्ट से लेकर जेल की सलाखों के पीछे तक पहुंच गया है।
तहसील व दीवानी न्यायालय में वकालत करने वाले कई वकील गरीबों की मुफ्त सलाह देते हैं, लेकिन अधिवक्ता तूलिका ने समाजसेवा को ही अपनी प्राथमिकता बना लिया है। वे केस भी इस तरह लड़ती हैं कि दोनों पक्षों और कोर्ट का समय बर्बाद होने से बचे। उनके इसी जज्बे को देखते हुए कोर्ट ने उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में कानूनी सलाहकार बनाया है। वह आशा ज्योति केंद्र की सलाहकार भी हैं। तूलिका बताती हैं कि जब भी ससुराल पक्ष से पीड़ित कोई महिला उनके पास आती है तो वह उससे साफ-साफ पूछतीं हैं कि वह अपनी शादी को बरकरार रखना चाहती हैं या उसे खत्म कर नए सिरे से ¨जदगी शुरू करना चाहती हैं?
कई बार ऐसा होता है कि दोनों ही मामलों में मायका व ससुराल पक्ष मूल उद्देश्य से भटक कर एक दूसरे पर मुकदमे दर्ज कराते हैं। इससे दानों पक्षों के साथ ही कोर्ट का समय भी बर्बाद होता है। ज्यादातर मामलों को वह बातचीत के जरिए खत्म कराने का प्रयास करती हैं। यदि केस लड़ना भी पड़े तो वह गरीब महिलाओं से पैसे नहीं लेतीं।
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बंदियों की रिहाई को करती हैं पैरवी
एडवोकेट तूलिका ऐसे बंदियों की पैरवी भी करती हैं जो दूसरे प्रांतों के हैं या जिनकी कोई पैरवी करने वाला नहीं है। ऐसे बंदियों का वह मुफ्त में केस लड़तीं हैं। उन्होंने कई बंदी रिहा भी कराए हैं।