मां की ममता का निवाला खोलेगा किस्मत का ताला
मां की ममता का निवाला खोलेगा किस्मत का ताला
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: कोई मुकाम पाने की चाह में घर से दूर रहकर पढ़ाई करने और इस दौर में समय से खाना नहीं मिलने की कसक का एहसास वहीं करा सकता है, जिसने इस विषम परिस्थितियों को झेला हो। लेकिन मां की ममता भरा निवाला मिले तो मेहनत करने का मजा बढ़ जाता है। यह मेहनत सफलता का ताला भी खोल सकती है। कुछ ऐसा ही बदलाव कोटा और दिल्ली रहकर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सुहाग नगरी के छात्र-छात्राओं के जीवन में आया है। अब वह मां के हाथ का बना खाना खाकर नीट, यूपीएससी, एसएससी, जेईई मैन जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
लुहारी निवासी सुरेंद्र पाल सिंह के पुत्र विक्रम सिंह दिल्ली रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन लागू हुआ तो खाना मिलने की समस्या से दो चार होना पड़ा। कोचिग भी जाना नहीं होता था, तो बाहर खाना भी नहीं मिलता था। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण टिफिन भी मंगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। अब घर आकर अपनी मां ऊषा सिंह के हाथ का खाना खाकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। 31 मई को यूपीएससी की परीक्षा थी, जो अब चार अक्टूबर को होगी। दिल्ली की दृष्टि कोचिग से ऑनलाइन लिक लेकर रिवीजन चल रहा है। तब भी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी और अब भी। बस फर्क यह है कि मां के हाथ का खाना मिल रहा है।
वहीं धर्मेंद्र सिंह एडवोकेट के पुत्र ऋषभ देव भी दिल्ली में रहकर एसएससी की तैयारी कर रहे थे। लॉक डाउन में टिफन बंद हो गया तो बाहर से खाना लाना मुसीबत से कम नहीं था। खाने की समस्या होने पर वह घर वापस आ गए। अब वह ऑनलाइन सेल्फ स्टडी कर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाहर के खाने से पेट नहीं भरता था। अब घर पर मां के हाथ का स्वादिष्ट खाना खाकर तैयार कर रहा हूं।
जलेसर रोड निवासी नीरज शर्मा की पुत्री प्राची शर्मा कोटा के एलन में रहकर नीट की तैयारी कर रही थीं। लॉक डाउन में वाहनों के आवागमन पर पाबंदी लगने से वह कोटा में रह गईं। लॉक डाउन में परदेश में सभी प्रकार की परेशानी उठानी पड़ी। अब वह घर पर रहकर मां ममता के हाथ का खाना खाकर तैयारी कर रही हैं। 26 जुलाई को नीट की परीक्षा है। कोचिग से ऑनलाइन लिक लेकर रिवीजन कर रही हैं। उनका कहना है कि मां के हाथ का खाना नई ऊर्जा देता है, जो पढ़ाई करने में बहुत सहायक होता है।