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मानसिक रोगी महिलाओं में उम्मीद की लौ जला रही आशा ज्योति केंद्र

साढ़े तीन साल में ऐसी 50 महिलाएं लायी गईं यहां कई को भेजा घर जरूरी होने पर महिलाएं भेजी जाती हैं आगरा मानसिक आरोग्यशाला

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 11:32 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 06:26 AM (IST)
मानसिक रोगी महिलाओं में उम्मीद की लौ जला रही आशा ज्योति केंद्र
मानसिक रोगी महिलाओं में उम्मीद की लौ जला रही आशा ज्योति केंद्र

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता।

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मामला एक

एक पखवाड़ा पहले सुभाष तिराहे पर 17 वर्षीय किशोरी पुलिस को भटकती मिली थी। उसकी हालत किसी विक्षिप्त जैसी थी। पुलिस ने उसे आशा ज्योति केंद्र के सुपुर्द किया था। दो दिन की काउंसिलिग के बाद किशोरी ने मुरादाबाद स्थित अपने घर का पता बताया, इसके बाद केंद्र के कर्मचारियों ने नई उम्मीद के साथ उसे घर पहुंचा दिया। मामला दो

पिछले माह सिरसागंज में 45 वर्षीय मानसिक रोगी महिला मिली थी। हेल्प लाइन नंबर से इसकी सूचना पाकर महिला पुलिस उसे आशा ज्योति केंद्र पर लेकर आई। वह अजीबोगरीब हरकतें कर रही थीं। सरकारी अस्पताल में इलाज की सहूलियत नहीं होने पर उसे आगरा मानसिक आरोग्यशाला भिजवा दिया गया। दिमागी हालत ठीक होने पर वह घर भिजवा दी जाएगी। ये दो मामले यह साबित कर रहे हैं कि आशा ज्योति केंद्र के कर्मचारी मानसिक रोगी महिलाएं और किशोरियों के बीच भी उम्मीद की लौ जगा रही हैं। केंद्र की शुरूआत से लेकर अब तक साढ़े तीन साल की अवधि में ऐसी 50 महिला और किशारियों को यहां लाया गया।

सुहाग नगरी में इस केंद्र की शुरूआत अगस्त 2015 में पीड़ित अबलाओं की व्यथा सुनकर न्याय दिलाने के लिए हुई थी, लेकिन मानसिक बीमारी की वजह से इधर-उधर भटकने वाली महिलाएं एवं किशोरियां इस केंद्र के हवाले कर दी जाती हैं। बीते साढ़े तीन साल में यहां लाई गईं 50 पीड़िताओं में से काउंसिलिग के दौरान घर का पता मिलने के बाद 35 महिलाओं को उनके घर भिजवा दिया गया और बाकी को आगरा मानसिक आरोग्यशाला। यहां दिमागी हालत ठीक होने के बाद महिलाओं को घर भिजवाया जाता है।

काउंसिलिग से पीड़िताओं की पीड़ा आ जाती है सामने

इस केंद्र पर पीड़िताओं की पीड़ा जानने के लिए काउंसलर की तैनाती की गई है। काउंसलर पुष्पा महिलाओं की अकेले में पीड़ा जानने का प्रयास करती हैं। इसके बाद उनकी समस्या के हिसाब से कदम उठाया जाता है। वर्जन-

आशा ज्योति केंद्र का काम घर-परिवार से परेशान अबलाओं की हर तरह से मदद करना है। यदि कोई विक्षिप्त या दिमागी तौर पर कमजोर महिलाएं यहां लायी जाती है तो उनकी भी हर तरीके से मदद की जाती है।

संध्या गोस्वामी, डिस्ट्रिक्ट कोर्डीनेटर


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