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छात्रवृति के गबन में मदरसा संचालक गिरफ्तार

मदरसों में छात्रवृति के नाम पर खुला खेल चल रहा है। एका में संचालित मदरसा प्रबंधक कई साल से फर्जी छात्रों के नाम पर लाखों रुपये की छात्रवृत्त हड़प कर रहा था। दो साल पूर्व शिकायत पर जांच हुई, जिसमें वह दोषी पाया गया। अब जाकर इस मामले में कार्रवाई हो सकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 10:49 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 10:49 PM (IST)
छात्रवृति के गबन में मदरसा संचालक गिरफ्तार
छात्रवृति के गबन में मदरसा संचालक गिरफ्तार

संवाद सहयोगी, एका (फीरोजाबाद): मदरसों में छात्रवृति के नाम पर खुला खेल चल रहा है। फर्जी बच्चों के नाम रजिस्टर में चढ़ाकर भारत सरकार को लाखों का चूना लगाने वाले मदरसा प्रबंधक को पुलिस ने गिरफ्ता कर लिया।

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गांव रामपुर में जामिया अरबिया लजना अबुल कलाम के नाम से एक मदरसा 2009 में खोला गया था। संचालक गुड्डू खान पुत्र गफूर खान पर आरोप है कि उसने पांच साल में 3.28 लाख रुपये की छात्रवृति फर्जी बच्चों के नाम से निकाल ली। सरोजनी नगर, लखनऊ निवासी आरती देवी ने इस संबंध में एक शिकायत 2016 में तत्कालीन डीएम से की थी। तीन सदस्यीय टीम को जांच सौंपी गई। इसमें तत्कालीन जिला विकास अधिकारी रामकृत राम, जिला विद्यालय निरीक्षक र¨वद्र ¨सह व समाज कल्याण अधिकारी डॉ. प्रज्ञा शंकर तिवारी शामिल थे।

जांच में पाया गया कि मदरसे में 45-50 किलोमीटर दूर तक के छात्र-छात्राओं के नाम फर्जी तरीके से रजिस्टर में दर्ज थे। 50 बच्चों के बैंक खाते मदरसे से 50 किलोमीटर दूर फीरोजाबाद शहर की विभिन्न बैंकों की शाखाओं में खोले गए, लेकिन पता गांव रामपुर ब्लॉक एका लिखा गया था। 13 बच्चे टूंडला ब्लॉक के गांव गालिब के प्राथमिक विद्यालय में और 34 बच्चे फीरोजाबाद के विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे थे। घपलेबाजी सामने आने के बाद 2015 में 99 छात्रों की छात्रवृति के भुगतान पर रोक लगा दी गई। इसके बाद मदरसा बंद हो गया। वहीं अग्रिम कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेज दी गई थी।

मंगलवार को एसएसआइ सुरेश चंद शर्मा ने मदरसा प्रबंधक गुड्डू खां को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। थाना प्रभारी फूलचंद का कहना है कि मामले में संलिप्त अन्य व्यक्ति की जांच की जा रही है।

गांव में शिक्षामित्र भी था प्रबंधक:

प्रबंधक गुड्डू खां एक तरफ मदरसा चलाकर छात्रवृति से पैसा कमा रहा था, वहीं वह गांव रामपुर में शिक्षामित्र भी था। लेकिन, वह स्कूल में पढ़ाने नहीं जाता था, केवल वेतन लेता था। -एफआइआर कराने में लगे दो साल:

मदरसा संचालक पर फर्जीवाड़े के आरोप दो साल पहले ही जांच में साबित हो गए थे। इसके बाद भी रिपोर्ट दर्ज होने में दो साल लग गए। इस मामले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अनुपम राय का कहना है कि जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। शासन ने मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दिए थे। डीएम ने एसडीएम जसराना से जांच कराई थी। उसमें भी आरोप सही पाए जाने पर 12 अगस्त को एफआइआर कराई गई। -पांच साल तक चला खेल

छात्रवृति में फर्जीवाड़े का खेल पांच साल तक चलता रहा। मदरसा खुलने के पहले ही साल वर्ष 2009-10 में 216 छात्रों की 64,200 अगले सत्र में 505 छात्रों की 1.51 लाख, 2012 में 301 छात्रों के 90,300 रुपये, 2013 में 52 छात्रों के 15,600 रुपए और 2014 में 22 छात्रों के 6600 रुपये की छात्रवृति प्राप्त की। कुल 1096 छात्रों के 3.28 लाख रुपये की छात्रवृति निकाली गई।


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