लॉकडाउन ले गया कालिदी की कालिख, आचमन लायक हुआ जल
लॉकडाउन ले गया कालिदी की कालिख आचमन लायक हुआ जल
विमल कुलश्रेष्ठ, फीरोजाबाद: लॉकडाउन में प्रकृति खुद को सजा संवार रही है। वाहनों की आवाजाही बेहद कम होने से वायु प्रदूषण तो कम हुआ ही है। कारखाने बंद होने से कालिदी की कालिख भी कम हो गई है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद यमुना में बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) व केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) जो सालों से मानक से कई गुना अधिक रहती थी वह मानक से नीचे आ गई है। पहले की अपेक्षा पानी का रंग भी साफ हुआ है और घाटों के आसपास भी कम गंदगी नजर आ रही है। इसमें आने वाले दिनों में और सुधार होने की संभावना जताई है।
सुहागनगरी में कांच इकाइयों से निकलने वाला केमिकल युक्त दूषित पानी औद्योगिक आस्थान से झरना नाला होते हुए यमुना तक पहुंचता है। इसके साथ शहर के दो प्रमुख रहना व मालवीय नालों के जरिए प्रतिदिन 55 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज यमुना में गिरता है, जिससे यमुना का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। यमुना को निर्मल बनाने के लिए सोफीपुर में करोड़ों के बजट से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार कराया जा रहा है, लेकिन बजट के अभाव में वह अब तक चालू नहीं हो सका। कोरोना महामारी के चलते 25 मार्च से औद्योगिक गतिविधियों पर पूरी तरह विराम लग गया। दो माह से चल रहे लॉकडाउन में कारखानों से निकलने वाले गंदगी यमुना तक नहीं पहुंची। इसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। आठ मई को पीसीबी द्वारा लिए गए सैंपल
पीसीबी द्वारा माह में दो बार यमुना से जल के सैंपल अप स्ट्रीम नया बांस व डाउन स्ट्रीम अंते की मढ़ैया से लेकर उनकी जांच कराई जाती है। आठ मई को दोनों जगह से सैंपल लिए गए थे। आगरा लैब से 27 मई को मिली रिपोर्ट बताती है कि यमुना में काफी हद तक प्रदूषण घटा है। ये है मानक:
पीएच : 6.5 - 8.5
डीओ : 6 या उससे अधिक
बीओडी : 30 से कम
सीओडी : 50 से कम 27 मई को यमुना जल की स्थिति (मिलीग्राम प्रति लीटर में)
पैरामीटर अप स्ट्रीम डाउन स्ट्रीम
रंग पीलापन पीलापन
गंध गंधरहित गंधरहित
पीएच 7.5 7.3
डीओ 6.6 6.4
बीओडी 12.8 14.8
सीओडी 22.4 25.6
-मानक की गणना: डीओ, बीओडी, सीओडी और क्लोराइड की गणना मिलीग्राम प्रति लीटर में है।
---- यथास्थिति बनाए रखने को यह करने होंगे उपाय - कांच इकाइयों से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी को आने से रोकना होगा।
- अवैध रूप से चल रही औद्योगिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करना होगा।
- सोफीपुर में निर्माणाधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को जल्द चालू करना होगा
- यमुना तक पहुंचने वाले सीवेज को रोकने के लिए जल्द नाले टेप कराए जाएं।
----- -यमुना की बोर्ड द्वारा निरंतर मॉनीटरिग कराई जा रही है। इसमें कारखानों से निकलने वाला केमिकल युक्त दूषित पानी व नालों के जरिए काफी मात्रा में सीवेज भी गिरता है। इसके चलते कई सालों से यमुना में प्रदूषण मानक से कई गुना अधिक चल रहा है। लॉकडाउन के कारण ऐसा पहली बार है कि बीओडी व सीओडी मानक से नीचे आए हैं। इससे पहले की अपेक्षा यमुना का जल स्वच्छ व पीने योग्य हो गया है।
- मनोज कुमार चौरसिया, क्षेत्रीय अधिकारी, पीसीबी