खानापान में लापरवाही बढ़ा रही हाईरिस्क प्रेगनेंसी
फीरोजाबादजागरण संवाददाता। कुपोषण और खानपान में लापरवाही के चलते जिले में हाईरिस्क प्रेगनेंसी के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी महिला अस्पताल में हर माह इस तरह के करीब 40 फीसद मामले आ रहे हैं। इससे पीड़ित महिलाओं के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है ऐसे में डिलीवरी के दौरान गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं की जान का खतरा रहता है।
फीरोजाबाद,जागरण संवाददाता। कुपोषण और खानपान में लापरवाही के चलते जिले में हाईरिस्क प्रेगनेंसी के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी महिला अस्पताल में हर माह इस तरह के करीब 40 फीसद मामले आ रहे हैं। इससे पीड़ित महिलाओं के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है, ऐसे में डिलीवरी के दौरान गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं की जान का खतरा रहता है।
महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. साधना राठौर ने बताया कि अस्पताल में हर महीने औसतन 650 महिलाएं डिलीवरी कराने आती हैं। इनमें से लगभग 70 फीसद महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा कम होती है। इनमें हीमोग्लोबिन का स्तर सात से नौ ग्राम के बीच होता है। इनमें से कई महिलाओं को खून चढ़ाना पड़ता है। खून की कमी होने का कारण है कुपोषण और खानपान में लापरवाही। यह स्थिति तब है जब सरकार कुपोषण समाप्त करने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। गर्भवती महिलाओं के कुपोषित होने से उनकी समय से पहले डिलीवरी होने और उनके नवजात शिशुओं में कई तरह की विकृतियां होने की आशंका रहती है। डॉ. राठौर के अनुसार, कई कुपोषित महिलाओं की डिलीवरी समय से पहले हो जाती है और उनके नवजात शिशुओं को जान बचाने के लिए मशीनों में रखना पड़ता है। यहां सघन चिकित्सा इकाई कक्ष में हर माह औसतन तीन दर्जन नवजात शिशु रखने पड़ते हैं। - सुरक्षित डिलीवरी के लिए कम से कम 12 ग्राम हीमोग्लोबिन जरूरी:
सीएमएस डॉ. राठौर ने बताया कि सुरक्षित डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम से कम 12 ग्राम होनी चाहिए। इससे कम हीमोग्लोबिन होने पर डिलीवरी के समय परेशानी बढ़ने की आशंका रहती है। हाईरिस्क प्रेगनेंसी के ये भी कारण:
30 साल की आयु के बाद पहली बार गर्भधारण करना।
- गर्भवती महिलाओं को दौरे पड़ना और हार्ट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होना।