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एक शादी ऐसी भी, दूल्हे ने घुड़चढ़ी से पहले किया गो पूजन, प्लास्टिक फ्री दावत में सिर्फ जैविक सब्जियां

देसी गाय के दूध घी और दही से बने थे व्यंजन कुर्सी पर बिठाकर कराया भोजन। चर्चा में रही प्रांत गोसेवा प्रमुख के बेटे की शादी। नौ मई को तेल ताई जैसी परंपराएं भी गो पूजन के साथ शुरू हुईं। गोशालाओं में गोवंशी को गुड़ और हरा चारा भिजवाया गया।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaPublished: Sat, 13 May 2023 07:15 AM (IST)Updated: Sat, 13 May 2023 07:36 AM (IST)
एक शादी ऐसी भी, दूल्हे ने घुड़चढ़ी से पहले किया गो पूजन, प्लास्टिक फ्री दावत में सिर्फ जैविक सब्जियां
दूल्हे ने घुड़चढ़ी से पहले किया गो पूजन, प्लास्टिक फ्री हुई दावत

फिरोजाबाद, जागरण संवाददाता। फिरोजाबाद में गुरुवार को अनूठी शादी हुई। घुड़चढ़ी से पहले दूल्हे ने गो पूजन किया। वहीं दावत को प्लास्टिक फ्री रखा गया। सभी मेहमानों को कुर्सी पर बिठाकर दावत कराई गई। खाना बनाने में देसी गाय के दूध, घी और दही का उपयोग किया गया। जो स्वाद के साथ ही सेहत के भी अनुकूल था।

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आरएसएस के प्रांत गोसेवा प्रमुख रमाकांत उपाध्याय के बेटे की

ये शादी थी सुहाग नगर निवासी आरएसएस के प्रांत गोसेवा प्रमुख रमाकांत उपाध्याय के दूसरे बेटे एड. उत्कर्ष उपाध्याय और गांव वीरई निवासी तृप्ति की। राजा का ताल स्थित एफएम वाटिका हुए शादी समारोह में आधुनिकता के साथ ही परंपराओं का संगम देखने को मिला। शाम सात बजे जब घुड़चढ़ी का समय आया तो दूल्हे राजा ने पहले गो पूजन किया। इसके लिए पहले से ही एक बछिया की व्यवस्था की गई थी।

मैदान में नहीं दिखा बुफे

मंत्रोच्चारण के बीच पूजन करने के बाद ही दूल्हा घोड़ी चढ़ा। दावत के लिए बुफे यहां दिखाई नहीं दिया। मैदान के तीनों ओर कुर्सी मेज पर पड़ी हुई थीं। मेहमानों को वहीं पर सम्मानपूर्वक बिठाकर खाना खिलाया गया। आरएसएस और गो सेवा विभाग के पदाधिकारी और पुलिस अधिकारियों ने भी कुर्सी पर बैठकर ही भोजन किया।

सब्जियां भी थी जैविक

अन्य शादी समारोहों की तरह यहां टिक्की पड़ाके, चाऊमीन, पाव-भाजी जैसी चीजें नहीं थीं। बल्कि सब्जी और रायते के साथ दही-बूरा मिट्टी के बर्तनों में परोसा जा रहा था। प्लास्टिक के बर्तनों का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया। रमाकांत उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने अधिकांश सब्जियां उन किसानों से मंगाई थीं, जो जैविक खेती करते हैं। फतेहाबाद के शिवानंद से गिरी गाय का 1500 लीटर दूध और मध्य प्रदेश से इसी गाय का घी मंगाया गया था।

गाय हमारी माता, हर काम में रहती है आगे..

इस पहल के संबंध में दूल्हे उत्कर्ष का कहना था कि गाय हमारी माता है। यह केवल कहने से काम नहीं चलेगा। बल्कि उसे अपनी परंपराओं में शामिल करना होगा। इसी सोच के साथ पापा ने ऐसा आयोजन किया।  


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