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ग्राम पंचायत नई, समस्याएं वही पुरानी

संवाद सूत्र, मक्खनपुर,(फीरोजाबाद): कस्बा से करीब दो किलोमीटर दूर बसे गांव बरामई को दो साल प

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Nov 2017 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 13 Nov 2017 07:10 PM (IST)
ग्राम पंचायत नई, समस्याएं वही पुरानी
ग्राम पंचायत नई, समस्याएं वही पुरानी

संवाद सूत्र, मक्खनपुर,(फीरोजाबाद): कस्बा से करीब दो किलोमीटर दूर बसे गांव बरामई को दो साल पहले ग्राम पंचायत होने का तमगा मिलने पर ग्रामीणों के मन विकास की जो उम्मीद जगी वह अब टूटने लगी है। पंचायत भले ही नई है, लेकिन ग्रामीणों को पुरानी समस्याओं से निजात अब तक नहीं मिल पाई है। अधिकांश गलियां टूटी फूटी और अतिक्रमण की चपेट में हैं। यहां जल निकास का कोई इंतजाम नहीं है और जलापूर्ति भी चार महीने से ठप पड़ी हैं। दो साल पहले तक ग्राम पंचायत सड़ामई का गांव रहा बरामई अब खुद एक ग्राम पंचायत है। बरामई के ग्रामीणों को पहले इस बात का अफसोस रहता था कि विकास के लिए आने वाली रकम सड़ामई में ही खर्च हो जाती है, जिससे उनके गांव का विकास रुका हुआ है, लेकिन जब बरामई ग्राम पंचायत बनी तो ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्हें लगा कि अब जो भी धन आएगा वह पूरा बरामई में खर्च किया जाएगा, लेकिन उनके सपने अब टूटने लगे हैं। गांव में घुसते ही अहसास हो जाता है कि गलियों का निर्माण दूर मरम्मत तक वर्षों से नहीं हुई है।

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टूटी हुई नालियों से निकला गंदा पानी गलियों में भरा रहता है। ग्रामीणों को इन्हीं गलियों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें भी मुश्किल ये है कि गलियों के किनारे पशु बांधकर जगह जगह अतिक्रमण कर लिया गया है। गांव में स्वच्छता को लेकर जागरुकता का भी अभाव है। अधिकांश परिवार खुले में शौच करने जाते हैं। रही सही कसर तालाब ने पूरी कर दी है। उसकी भी सफाई नहीं हुई है। अनदेखी के कारण तालाब का पानी ओवर फ्लो होकर आसपास क्षेत्र में फैला हुआ है।

सोमवार की दोपहर निजी सबमर्सिबल पर पानी भरते ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जलापूर्ति के लिए पानी की टंकी और नलकूप तो है, लेकिन चार महीने से शो पीस बने हुए हैं। सबमर्सिबल फूंक गई है। प्रधान से कई बार कहा है, लेकिन वह पंचायत के खाते में बजट न होने का बहाना बना देते हैं।

ग्रामीणों की बात :

गलियों की हालत वैसे ही खराब है। ऊपर से कई लोग गलियों के किनारे पशु बांध देते हैं, जिससे कहीं भी आने जाने में दिक्कत होते हैं। वहीं बच्चे भी गली में चलने से डरते हैं।

गायत्री देवी कुशवाहा

गांव में कई लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है। कई परिवार आवास एवं पेंशन योजना के पात्र हैं, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल रहा। इसके लिए गांव में कैंप का आयोजन होना चाहिए।

बीना

गांव में पानी की कई महीनों से समस्या है। इससे पहले भी सबमर्सिबल अक्सर खराब हो जाती थी। पानी हर इंसान के लिए जरूरी है, इसलिए समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए।

माया राम प्रजापति

गांव में पेयजल और सड़क की समस्या है। इन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन नई पंचायत होने के कारण अब तक सिर्फ पांच-छह लाख का बजट ही आया है। इससे पंचायत घर और प्राथमिक विद्यालय में कार्य कराया गया। बजट मिलने पर ही आगे कोई कार्य कराया जा सकता है।

मदन ¨सह कुशवाहा।


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