शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े पर शासन से कमेटी गठित
फीरोजाबाद: नगर विधायक ने मंगलवार को उठाया था मामला, अधिकारियों से की थी शिकायत। तीन सदस्यीय कमेटी गठित, कभी भी जिले में देगी दस्तक, खंगालेगी सभी अभिलेख।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : नगर विधायक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शासन ने बुधवार को ही फीरोजाबाद में हुई शिक्षक भर्ती के लिए जांच कमेटी गठित कर दी। तीन अधिकारियों को इस कमेटी में शामिल करते हुए शिक्षकों के भर्ती अभिलेखों की जांच के आदेश दिए हैं। बुधवार दोपहर इस संबंध में शासन से आदेश भी जारी हो गया। इसकी जानकारी होते ही जिले के सैकड़ों शिक्षकों के चेहरों पर हवाइयां तैरने लगी हैं।
मथुरा में शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद में जिले के भी कई शिक्षकों के फर्जी होने का मामला प्रकाश में आया। इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया। टूंडला के एक शिक्षक के मामले में शिकायत के बाद में एसआइटी जांच भी चल रही है। इस मामले में पिछले दिनों टीम ने आगरा विवि में जाकर अभिलेख भी खंगाले। इधर शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े के मामले में नगर विधायक मनीष असीजा ने मंगलवार को आश्वासन समिति की बैठक में मामला उठाया। इसके साथ में बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव सहित अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। नगर विधायक की शिकायतों के बाद में बेसिक शिक्षा विभाग के डायरेक्टर ने फर्जी शिक्षकों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर आदेश जारी कर दिया है। कमेटी में गौतमबुद्ध नगर के डायट के प्राचार्य सहित एडी बेसिक मेरठ एवं शिक्षा निदेशालय बेसिक शिक्षा विभाग के लेखाधिकारी को शामिल किया गया है। कमेटी गठित होने के आदेश के बाद ही जिले के कई शिक्षक बीएसए दफ्तर एवं डायट की दौड़ लगाने लगे हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कमेटी किस सन से किस सन तक भर्तियों की जांच करेगी, लेकिन अगर कमेटी ने सन 2000 से होने वाली भर्तियों की जांच की तो कई चेहरों पर से नकाब उतरेगा।
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विवि तक है पूरा कॉकस, फर्जी अंकतालिका होती हैं ओके :
फर्जी शिक्षकों का कॉकस विवि तक हावी है। हर बार जांच के दौरान इस कॉकस के द्वारा विवि से फर्जी अंकतालिकाओं को ओके करा दिया जाता है। ऐसे में फर्जीवाड़े की तह तक जाने के लिए टीम को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
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मेरिट सूची की भी हो जांच :
कई शिक्षकों ने महकमे में साठगांठ कर बड़ा खेल खेला है। जिन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मेरिट में नाम शामिल करा कर नौकरी पाई थी, बाद में जांच में पकड़े जाने से बचने के लिए फर्जी दस्तावेज हटाकर मूल अभिलेख जमा कर दिए। ऐसे में अगर सूची से जांच की जाए तो इन शिक्षकों की पोल खुल सकती है।