कैसे बने स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस? बढ़ गई आवेदकों की परेशानी, इस जिले में लंबी वेटिंग
फिरोजाबाद में स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब मुश्किल हो गया है, क्योंकि टेस्ट प्रक्रिया निजी हाथों में चली गई है। आवेदकों को एआरटीओ कार्यालय के बाद एडीटीसी सेंटर पर भी जाना पड़ता है, जिससे समय और परेशानी बढ़ गई है। आवेदकों की संख्या में भी 30-40% की कमी आई है, क्योंकि उन्हें लंबी प्रतीक्षा और कई चरणों से गुजरना पड़ता है।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। स्थाई (परमानेंट) ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब मुश्किल हो गया है। टेस्ट की प्रक्रिया निजी हाथों में जाने के बाद आवेदकों की परेशानी बढ़ गई है। पूर्व में जो टेस्ट एआरटीओ कार्यालय स्थित ट्रेक पर होता था। वह अब प्रत्यायन चालन प्रशिक्षण एवं परीक्षण केंद्र (एडीटीसी सेंटर) पर होता है, जो कार्यालय से एक किलोमीटर दूर है। इससे असर आवेदन पर देखने को मिल रहा है। आवेदकों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है।
निजीकरण होने के बाद बढ़ी समस्या, लंबी हुई प्रक्रिया
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में अवैध वसूली जैसी शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार ने ड्राइविंग टेस्ट का कार्य निजी हाथों में सौंप दिया है। जिले में 22 अगस्त से ये व्यवस्था लागू हो गई है। अब आवदेकों को परमानेंट लाइसेंस बनवाने के लिए पहले सिविल लाइंस स्थित एआरटीओ कार्यालय में फोटो खिंचवाने और बायोमीट्रिक कराने के बाद गांव वजीरपुर जहलपुर स्थित एडीटीसी सेंटर जाना पड़ता है। वहां फिर से पंजीकरण कराने के बाद उन्हें टेस्ट की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसमें भी काफी समय लगता है। आवेदकों का कहना है कि सेंटर पर दो-दो घंटे प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वहां बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। नंबर आने के बाद पहले फोटो मिलान होगा।
इसका असर आवेदकों की संख्या पर पड़ा है। निरीक्षण से पहले एआरटीओ कार्यालय में प्रतिदिन औसतन 50 से 60 टेस्ट होते थे। वहीं अब इनकी संख्या घटकर 30 से 35 रह गई है।
डीएल बनवाने में काफी परेशानी हुई। कई चरणों से से गुजरना पड़ा। इससे पहले सेंटर के बाहर काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद अंदर बुलाया गया। बाहर बैठने की भी उचित व्यवस्था नहीं थी। -नवल किशोर, द्वारिकापुर खैरगढ़, आवेदक
डीएल के लिए अब एआरटीओ कार्यालय के साथ एडीटीसी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। दोनों स्थानों पर बायोमीट्रिक और फोटो का मिलान हाे रहा है। शिकायत दर्ज कराने के लिए अधिकारियों के नंबर तक अंकित नहीं हैं। आशीष शर्मा, रहना
नया डीएल बनवान के लिए करना है ये काम
नया डीएल बनवाने के लिए सबसे पहले जनसेवा केंद्र पर लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। इसका ऑनलाइन ही टेस्ट होता है। लर्निंग लाइसेंस बनने के बाद आवेदक एक महीने बाद परमानेंट लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन और फीस जमा करने के बाद एआरटीओ कार्यालय में बायोमीट्रिक करानी पड़ती है। फिर एडीटीसी पर टेस्ट देना होता है।
एडीटीसी में पूरे ट्रैक पर कैमरे लगे हैं। वहां तय समय में कई बातों का ध्यान रखते हुए वाहन सफलतापूर्वक चलाना होता, जिससे कई आवेदक अनावश्यक रूप संयम खो देते हैं। इसके लिए वहां 15-20 मिनट का वीडियो दिखाने की व्यवस्था कराई है। धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। -सुरेश चंद्र यादव, एआरटीओ

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