मिट रही कालिदी के नीर की पीर
एनजीटी की सख्ती के बाद रहना व मालवीय नगर नाले हुए टेप एसटीपी पर शोधित कर यमुना में छोड़ा जा रहा है पानी।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद: कांचनगरी के नालों की गंदगी से लगातार बढ़ती यमुना की पीर अब धीमे-धीमे मिटने लगी है। शहर के कांच कारखानों व बस्तियों से निकल रहा नालों का दूषित पानी अब तक यमुना में गिरता था। उसे अब यमुना में जाने से पहले शोधित किया जा रहा है।
कांच कारखाने से निकलने वाला प्रदूषित पानी कालिख के रूप में दो प्रमुख नालों से यमुना में समाता है। इससे सालों से यमुना दूषित हो रही है। शहर की गंदगी भी इनके जरिए नदी में आती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद पांच साल पहले जल निगम ने दूषित पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक ले जाने की योजना बनाई थी। केंद्र सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना के तहत यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए करोड़ों का बजट स्वीकृत किया।
शासन स्तर से कार्य की जिम्मेदारी आगरा की कार्यदायी संस्था यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सौंपी गई। संस्था ने डेढ़ साल में रहना व मालवीय नगर के दोनों नालों की टेपिग का कार्य पूरा कर दिया। दोनों बड़े नाले टेप होने के बाद सोफीपुर स्थित एसटीपी पर हर रोज 50-55 एमएलडी दूषित पानी पहुंच रहा है, जिसे मानक के अनुरूप शुद्ध करने के बाद यमुना में छोड़ा जा रहा है।
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प्रोजेक्ट पर एक नजर
51 करोड़ - प्रोजेक्ट पर स्वीकृत बजट
31.2 एमएलडी - यमुना में हर रोज पहुंचता था दूषित पानी
14.8 एमएलडी - रहना नाले से
16.4 एमएलडी - मालवीय नगर नाले से
50-55 एमएलडी - एसटीपी पर मिल रहा डिस्चार्ज - नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत शहर के दो प्रमुख रहना व मालवीय नगर नालों की टेपिंग का कार्य पूरा हो चुका है। अब यमुना में गंदगी नहीं जाती।
- सीएस सोलंकी, एक्सईएन जल निगम