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शवों को बहाने की आशंका के चलते यमुना पर पहरा

तटीय गांवों में लेखपालों की टीम सक्रिय की प्रशासन ने मछुआरों को भी काम पर लगाया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 06:36 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:36 AM (IST)
शवों को बहाने की आशंका के चलते यमुना पर पहरा
शवों को बहाने की आशंका के चलते यमुना पर पहरा

जासं, फीरोजाबाद: कोरोना काल में शवों की बेकद्री रोकने के लिए जिले में भी यमुना पर पहरा बिठा दिया गया है। प्रशासन ने तटीय गांवों में लेखपालों की टीम सक्रिय करने के साथ ही मछुआरों को भी काम पर लगाया है।

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गाजीपुर और उन्नाव समेत प्रदेश में कई जगह गंगा में शवों को बहाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी जिलों में गंगा के साथ अन्य नदियों पर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए है। इस क्रम में जिले में टूंडला, फीरोजाबाद और शिकोहाबाद तहसीलों को निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। यमुना नदी इन तीनों तहसील के दो दर्जन से अधिक गांवों से होकर गुजरती है।

एडीएम आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि यमुना किनारे के गांवों में क्षेत्रीय लेखपालों को सक्रिय कर दिया गया है। मछुआरों के साथ बैठकें की जा रही हैं। क्षेत्रीय लोगों को जागरूक किया जा रहा कि वह किसी को यमुना में शव न बहाने दें। जिले में अभी तक कोई ऐसा मामला नहीं आया है।

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मेयर की अध्यक्षता में बनी 15 सदस्यीय कमेटी

शहर में भी किसी कोरोना संक्रमित का शव नदी में न बहाया जाए। बल्कि उसका पारंपरिक रूप से अंतिम संस्कार किया जाए। इसके लिए नगर निगम में मेयर नूतन राठौर की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इसमें नगर आयुक्त, उप सभापति, प्रभारी अधिशाषी अभियंता, नगर स्वास्थ्य अधिकारी और 10 पार्षद शामिल हैं।

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- बहाएं नहीं दाह संस्कार करें, सरकार दे रही मदद

सरकार ने कोरोना से मौत होने की दशा में शव को नदी में न बहाने की अपील करते हुए ग्राम पंचायतों को ऐसे शव का दाह संस्कार कराने के लिए बजट उपलब्ध कराया है। सीडीओ चर्चित गौड़ ने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत एक शव के अंतिम संस्कार पर पांच हजार रुपये तक खर्च कर सकती है। ये धनराशि मृतक के स्वजन को दी जाएगी। यदि स्वजन खुद दाह संस्कार करने की स्थिति में नहीं हैं तो ग्राम पंचायत खुद पांच हजार रुपये का उपयोग कर उसका अंतिम संस्कार कराएगी, लेकिन किसी भी सूरत में शव को नदी में नहीं बहाने दिया जाएगा। नगर निकाय भी ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए पांच हजार रुपये खर्च कर सकते हैं।


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