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पांच शवों की सजी एक चिता, रो पड़ा पूरा गांव

घर से उठीं अर्थियां तो कम पड़ गए स्वजन के कंधे गांव वाले आए साथ मासूम को दफनाया शुक्रवार को हादसे में परिवार के सात सदस्यों की हुई थी मौत।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 06:47 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 06:47 AM (IST)
पांच शवों की सजी एक चिता, रो पड़ा पूरा गांव
पांच शवों की सजी एक चिता, रो पड़ा पूरा गांव

संवाद सहयोगी, शिकोहाबाद: हरियाणा के झज्जर जिले में शुक्रवार को सड़क हादसे में एक ही परिवार के सात सदस्यों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। शनिवार को गांव में पांच शवों के लिए एक चिता सजाई गई। एक मासूम के शव को दफनाया गया। जबकि एक बालक के शव का स्वजन ने अपने गांव गाजीपुर ले जाकर अंतिम संस्कार किया। बिहार के श्रमिक बबलू के शव को उसके स्वजन पोस्टमार्टम के बाद अपने गांव ले गए थे।

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सिरसागंज थाना क्षेत्र के नगला अनूप निवासी शिवकुमार शर्मा (60) बुधवार को किराए की कार से अपनी पत्नी मुन्नी देवी, पुत्र मनोज(26) बहू रूबी(24), छह माह की पोती श्रुति, बेटी खुशबू(22), विवाहित बेटी आरती(24), ढाई साल की धेवती आंशी और बड़ी बेटी सोनी का बेटा प्रियांशु (12) के अलावा गांव में रहने वाला बिहारी श्रमिक बबलू के साथ जाहरवीर बाबा की जात करने गए थे। शुक्रवार की सुबह चार बजे लौटते में हरियाणा में झज्जर जिले में हादसा हो गया। हादसे में शिवकुमार, मुन्नीदेवी, मनोज, रूबी, श्रुति, खुशबू, प्रियांशु, बबलू की मौत हो गई थी। बबलू के शव को उसके स्वजन बिहार ले गए थे। जबकि प्रियांशु के शव को उसके पिता अपने गांव ले गए।

बाकी छह शव शुक्रवार देर रात करीब एक बजे गांव लाए गए। सुबह होने तक रोते-रोते स्वजन की आंखें सूख चुकी थीं। सुबह होते ही अंतिम संस्कार की तैयारी होने लगी। पूरा गांव जुट गया। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा अधिकारी भी आ गए। सुबह लगभग दस बजे घर से पांच अर्थियां उठी और मासूम श्रुति के शव को एक स्वजन गोद में लेकर चले तो चीत्कार मच गया। अर्थियों के लिए स्वजन के कंधे कम पड़े तो गांव वाले आगे आए। शव यात्रा में शामिल हर शख्स रो रहा था। शिवकुमार के परिवार में सगा छोटा भाई राजकुमार ही बचा है। हालांकि, चचेरे भाइयों का परिवार भी है। शिवकुमार के खेत पर एक बड़ी चिता सजाई गई। इस पर पांच शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि राजकुमार ने दी। इसके बाद मासूम के शव को दफना दिया गया। हादसा इतना भीषण था कि पोस्टमार्टम के बाद सील किए गए शवों का चेहरा लोग नहीं देख पाए। दोपहर तक गांव में चूल्हे नहीं सुलगे। हर जगह शिवकुमार के परिवार के साथ हुए हादसे की चर्चा होती रही।


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