डाकघर में मनमानी से सेवाएं फेल
फीरोजाबाद: केवीपी, एनएससी का एक एक महीने में नहीं हो रहा भुगतान। आम ग्राहकों के साथ एजेंट भी परेशान, नहीं होती सुनवाई।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: जिले के प्रधान डाकघर में कर्मचारियों की मनमानी से डाक सेवाएं फेल हो गई हैं। ग्राहकों को छोटे-छोटे कार्यो के लिए भी कई-कई दिन चक्कर लगाने पड़ते हैं। किसान विकास पत्र (केवीपी) और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) का भुगतान एक-एक महीने में नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते डाकघर में आए दिन कर्मचारी और ग्राहकों के बीच नोकझोंक और कहासुनी होती है। इसके बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा।
सुहाग नगर में संचालित प्रधान डाकघर में कोई भी काम करा पाना ग्राहकों के लिए अब मुश्किल भरा हो गया है। यहां तीन बजे के बाद लेनदेन बंद हो जाता है, जबकि बैंकों की तरह यहां भी शाम चार बजे तक रुपये जमा और निकाले जाने का नियम है, लेकिन यहां काम करने वाले कर्मचारियों के अपने नियम हैं। इन दिनों शादियां चल रही हैं। बेटी की शादियों के लिए एनएससी और केवीपी का भुगतान पाने को बड़ी संख्या में अभिभावक डाकघर आ रहे हैं, लेकिन यहां उनकी मजबूरी कोई नहीं समझता। एनएससी और केवीपी जमा करने वाले कर्मचारी छूटते ही चार दिन बाद आने की कह देते हैं।
ग्राहक इस उम्मीद में लौट जाते हैं कि चार दिन बाद उन्हें भुगतान मिल जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है। चार दिन उन्हें फिर लौटाया जाता है। ये सिलसिला चलता रहता है। हालात ये हैं कि दर्जनों ग्राहक एक महीने से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिलता। सवाल करने पर कर्मचारी अभद्र व्यवहार भी करते हैं।
दिव्यांग से की अभद्रता
कर्मचारियों के दुर्व्यवहार का नजारा सोमवार की दोपहर डाकघर में दिखाई दिया। एक दिव्यांग युवक तीन एनएससी लेकर आया था, उसे रुपयों की जरूरत थी। कर्मचारी को एनएससी दी तो कर्मचारियों ने चार दिन बाद आने की बात की। दिव्यांग ने मजबूरी बताई तो उसके साथ अभद्रता की, इस पर दिव्यांग ने भी विरोध जताया तो अन्य कर्मचारियों ने मंगलवार को उसका काम कराने का आश्वासन देकर मामला शांत करा दिया।
चार महीने में बनी एनएससी
बड़ी छपैटी निवासी संजय जैन पीआरओ ने बताया कि उनकी पांच-पांच हजार की दो एनएससी खो गई। फोटो स्टेट लेकर वह चार महीने पहले डाकघर गए थे। कर्मचारियों ने दूसरे कागज बनाने में चार महीने लगा लिए। इस दौरान कई चक्कर भी कटवाए। इसके बाद भी एनएससी गलत बना दी। जैसे तैसे सुधार किया तो कैश या चेक देने से मना कर दिया। कई दिनों की परेशानी के बाद अब भुगतान की राशि एकाउंट में जमा की है।