कोरोना काल में बिजली का बिल दे रहा करंट
कोरोना काल में बिजली का बिल दे रहा करंट
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कोरोना संक्रमण काल में विद्युत विभाग द्वारा मनमाने तरीके से कार्य किया जा रहा है। घरेलू उपभोक्ताओं के साथ व्यापारियों को हजारों रुपए के बिल भेजे जा रहे हैं, जिससे देख उपभोक्ताओं कों करंट लग रहा है।
कोरोना का अलर्ट जारी होने के बाद 15 मार्च से विद्युत विभाग द्वारा कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए रीडिग आधारित बिल उपलब्ध कराना बंद दिए था। विद्युत अधिकारियों ने कहा कि उपभोक्ताओं को तीन माह की एवरेज रीडिग के आधार पर ई-मेल व मोबाइल पर ही बिल उपलब्ध कराए जाएंगे। लॉकडाउन-3 में राहत मिलने के बाद विद्युत विभाग द्वारा रीडिग आधारित बिलिग कार्य शुरू करा दिया है। मीटर रीडर घर-घर जाकर घरेलू व कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को बिल उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं की टेंशन बढ़ गई है। विभाग द्वारा भेजे जा रहे मूल बिल व सिस्टम पर बिल में अंतर आने के कारण तमाम उपभोक्ताओं को कैश काउंटरों से बैरंग लौटना पड़ रहा है। काउंटर पर बैठे कर्मचारी किसी उपभोक्ता की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते काम बंद धंधे ठप पड़े हैं। दो माह से अधिक समय हो गया है, दुकानें व कार्यालय सबकुछ बंद है। इसके बावजूद विद्युत विभाग द्वारा पहले की अपेक्षा कई गुना अधिक बिल दिए जा रहे हैं, जबकि इससे पहले कभी इतना बिल नहीं आया है। -पहले हर माह 1500 से 1800 रुपए तक बिल आता था। लॉकडाउन के चलते दो माह से बिल नहीं आया। दो दिन पहले विभाग द्वारा 6000 रुपये का बिल उपलब्ध कराया गया है। इसमें मार्च में 1465 रुपए जो बिल भरा वह भी कट कर नहीं आए। बिल सही कराने के लिए कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
- हेमंत गुप्ता, न्यू तिलक नगर - दुकान का 800 से एक हजार रुपए तक बिल आता था। लॉकडाउन के चलते दो माह से दुकान का ताला भी नहीं खुला है। मीटर रीडर द्वारा चार दिन पहले 5800 रुपए का बिल दिया गया। पिछले कई सालों में इतना बिल नहीं आया है। कार्यालय में कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है।
- विकास अग्रवाल, व्यापारी - दो माह से उपभोक्ताओं को एवरेज रीडिग के आधार पर प्रोवीजन बिल उपलब्ध कराए जा रहे थे। अब रीडिग से बिल बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यदि किसी के बिल में कोई गड़बड़ी है तो वह कार्यालय आकर समस्या बताएं। उपभोक्ताओं की समस्या का हरसंभव निदान कराया जाएगा।
- अजय अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता शहर