आधुनिक शिक्षकों की बिगड़ी 'अर्थव्यवस्था', महीनों से नहीं मिला मानदेय
फीरोजाबाद, राजीव शर्मा। आधुनिक शिक्षकों की अर्थ व्यवस्था बिगड़ गई है। मदरसों में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों को कई माह से मानदेय तक नहीं मिला है। इससे इनके सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। किसी की शादी रुकी है तो किसी के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है। जिले में 26 मान्यता प्राप्त मदरसा हैं, जिनमें 60 आधुनिक शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे हैं। ऐसे में इनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।
राजीव शर्मा, फीरोजाबाद: कश्मीरी गेट में रहने वाली इमराना घर की इकलौती कमाऊ सदस्य है। वह मुहल्ले के ही एक मदरसे में आधुनिक शिक्षक के पद पर तैनात हैं। पिता बेरोजगार हैं और मां बिस्तर पर हैं। जुलाई में इमराना की सगाई हो गई थी। आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि शादी नहीं हो पा रही है। तंगी की वजह है वर्षो से मानदेय न मिलना। वह ट्यूशन पढ़ा कर घर का खर्च चला रही है।
यह हालात जिले के उन सभी आधुनिक शिक्षकों के हैं जो मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ा रहे हैं। इन्हें शासन ने मदरसों में अंग्रेजी, विज्ञान व गणित पढ़ाने के लिए नियुक्त किया था। शुरुआत में नियमित रूप से मानदेय दिया गया। उसके बाद शासन इन्हें भूल गया। शिक्षक सिर्फ मानदेय के इंतजार में मदरसों में पढ़ा रहे हैं। उक्त शिक्षकों में से अधिकांश के सामने घर चलाने से लेकर बच्चों की फीस और अन्य जरूरतें पूरी करने की मुश्किल खड़ी हो गई है।
हमें लगभग चार वर्ष से मानदेय नहीं मिला। घर चलाने के लिए मदरसे के बाद ट्यूशन पढ़ा कर काम चला रहे हैं। कई बार मांग की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
कमरदाद, शिक्षक -फोटो-दो
पहले कहा था कि मदरसों की जांच के बाद भुगतान होगा। दो बार जांच होने के बाद भी मानदेय नहीं मिला। दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार सुन नहीं रही है।
डॉ. आफताब अहमद, जिलाध्यक्ष
ऑल इंडिया मदरसा मॉर्डन टीचर एसोसिएशन
फोटो-तीन
भुगतान शासन स्तर से अटका है। समय-समय पर डिमांड भेजते रहते हैं, लेकिन समस्या प्रदेश स्तरीय है। हमारे हाथ में कुछ नहीं है।
जितेंद्र कुमार, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी